इस दुनिया में आपको मुसीबतों का मुक़ाबला करना पड़ेगा लेकिन हौसला रख, मैंने दुनिया पर जीत हासिल कर ली है

जब कॅमरॉन उनके भतीजे के साथ खेल-खेल में लड़ाई का नाटक करते है, तो वह मज़ाक में अकसर कहते है, "क्या आप थप्पड़ खाना चाहते हैं??" 🤭 लेकिन जवाब में उनका भतीजा कभी यह नहीं कहता, "हाँ! मुझे एक नही, दो थप्पड़ मारो, प्लीज़।" 🤣
लेकिन मत्ती ५ में,यीशु मसीह कुछ ऐसा कहता हैं जो आपके होश उड़ा देगा:
"परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ कि बुरे का सामना न करना; परन्तु जो कोई तेरे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे, उसकी ओर दूसरा भी फेर दे।" – मत्ती ५:३९-४१
क्या यीशु मसीह सच में यह कह रहा हैं कि अगर कोई हमें थप्पड़ मारे, तो हम उन्हें दोबारा मारने का न्यौता दें? पहली नज़र में, ऐसा लगता है कि वो हमें नाइंसाफी को चुपचाप सहने की बात कर रहा हैं।
लेकिन इस आयत का असली मतलब उसकी सांस्कृतिक इतिहास के बिना समझना नामुमक़िन हैं। यीशु मसीह यहाँ उलटे हाथ के थप्पड़ की बात कर रहा था, जिसे उन दिनों में सबसे बड़ा अपमान समझा जाता था और उन दिनों में यह तरीक़ा, अकसर मालिक अपने गुलामों को नीचा दिखाने के लिए इस्तेमाल करते थे।
"दूसरा गाल आगे करना" दरअसल बेइज़्ज़ती को क़बूल करना नहीं था, बल्कि जुर्रत करके विरोध करने का एक तरीक़ा था। इसका मतलब था: "मैं आपसे डरता नहीं हूँ", "आपका मुझ पर कोई अधिकार नहीं हैं", "आप मेरी बेइज़्ज़ती नहीं कर सकते, क्योंकि मेरी इज़्ज़त इंसानों की राय पर निर्भर नहीं है।"
जब यीशु मसीह ने कहा, "कि बुरे का सामना न करना," तो उसका मतलब यह नहीं था कि कुछ न किया जाए। बल्कि, अमन-पसंद का एक नया रास्ता दिखा रहा था - ऐसा तरीक़ा जिससे हम नाइंसाफ़ी का सामना अहिंसक बनक़र कर सकें।
दोस्त , क्या आपको हाल ही में किसीने "थप्पड़" मारा है (शर्मिंदा किया है, चोट पहुँचाई है या अपमान किया है)? याद रखें, यीशु मसीह ने कहा:
*"आपको मुझ में सुक़ून मिले। इस दुनिया में आपको मुसीबतों का मुक़ाबला करना पड़ेगा लेकिन हौसला रख, मैंने दुनिया पर जीत हासिल कर ली है।”– यूहन्ना १६:३३
आज पवित्र आत्मा से दुआ करें कि वह इस बात को ज़ाहिर करें कि, आपके हालातों में ‘दूसरा गाल आगे करने’ का क्या तरीक़ा है जिससे आप नाइंसाफ़ी का सामना, अमन-पसंद होकर कर सकें।
(*इस प्रोत्साहन के कुछ आयत मेरे अल्फ़ाज़ और अंदाज़ में लिखे गए हैं)

