God of all comfort, who comforts us in all our troubles

शारीरिक चुनौती के लिए, जैसे दौड़ में हिस्सा लेना या पहाड़ पर चढ़ना, आप कैसी तैयारी करेंगे? 🧗🏽♂️
आप शायद कसरत करेंगे, सही खाना खाएंगे और पूरा आराम सुनिश्चित करेंगे, है ना?
ठीक उसी तरह जैसे हम अपने शरीर को तैयार करते हैं, हम आत्मिक मुश्किलों के दौर के लिए भी अपनी आत्मा को तैयार और उसे पोषित कर सकते हैं।
इसका सबसे बेहतरीन तरीका तन्हाई और ख़ामोशी में रहना है; जैसे यीशु मसीह ने किया था।
"जब यीशु ने यह सुना (उनके चचेरे भाई यहुन्ना बपतिस्मा देने वाले की हत्या कर दी गई) तो वह नाव पर चढ़कर वहाँ से किसी सुनसान जगह को, एकान्त में चला गया।" - मत्ती १४:१३
जैसे ही आप तन्हाई और ख़ामोशी का अभ्यास करेंगे, आप महसूस करेंगे कि आपका वर्तमान समय और इसके साथ आने वाली भावनाएँ, चाहे वे सकारात्मक हों या नकारात्मक, आपके ख़ुदा के साथ समय को और ज़्यादा प्रभावित करेगी।
यह सोचना स्वाभाविक है कि आपको खुद को "सुधारना" या अपनी भावनाओं से निपटना हैं, ताकि बिना किसी रुकावट के, आपके तन्हाई और ख़ामोशी का समय मुकम्मल हो।
लेकिन सच्चाई यह है की आप जिस हालत में हैं, ख़ुदा आपको वहीं मिलना चाहता हैं। फ़िर चाहे वो ग़म हो या ख़ुशी हो, ख़ुदा की दिली-ख्वाइश हैं की उसका और आपका मिलन वही हो।
यीशु मसीह का उदाहरण लें: मुश्किल समय में, आपका पहला कदम ख़ुदा को तन्हाई और ख़ामोशी में खोजने का होना चाहिए। ख़ुदा को आपकी आत्मा की देखभाल करने दें, जो केवल वही कर सकता हैं।
"हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता और सब प्रकार की शान्ति का परमेश्वर है। वह हमारे सब क्लेशों में शान्ति देता है।" - २ कुरिन्थियों १:३-४
चलिए, इस अभ्यास को मिलकर पूरा करें!
१. आराम से मगर जागरूक होकर बैठें। उदाहरण के तौर पर, खुले हाथों से सीधे बैठें, लेकिन लेटकर सोने का ख़तरा न लें। २. रुकावटों को दूर करें। फ़ोन और म्यूज़िक बंद कर दें। ३. एक छोटासा लक्ष तय करें - १० या १५ मिनट का टाइमर सेट करें। ४. ख़ुदा से एक आसान दुआ करें, जैसे "मैं यहाँ हूँ"। जब - जब आपका ध्यान भटके, तो इस दुआ को दोहराएं और ख़ुदा में फिरसे मगन हो जाए। ५. मत्ती ६:९-१३ की दुआ पढ़कर समाप्त करें, और चाहें जैसा भी आपने महसूस या अनुभव किया है, याद रखें आपका वक्त ख़ुदा के साथ ज़ाया नही हुआ हैं।

