माफ़ करना मतलब जाने देना है

माफ़ करने का सबसे मुश्किल हिस्सा, इंसाफ का हक़ छोड़ना है। यह नाइंसाफी लग सकता है कि वो व्यक्ति जिसने हमें दुख दिया है, कभी भी अपने कर्मों का परिणाम नहीं भुगतेगा। लेकिन मेरे पास एक अच्छी खुशखबर है: हमारा ख़ुदा इंसाफ करने वाला है!
"‘प्रभु चट्टान है। उसका शासन-कार्य सिद्ध है;क्योंकि उसके समस्त मार्ग न्यायपूर्ण हैं।वह सच्चा परमेश्वर है, उसमें पक्षपात नहीं,वह निष्पक्ष न्यायी और निष्कपट है।" – व्यवस्थाविवरण ३२:४
मुश्किल काम यह है कि हम ख़ुदा पर यक़िन करना सीखें कि आखिर में वही इंसाफ करेगा।
"परन्तु यहोवा सदैव सिंहासन पर विराजमान है,उसने अपना सिंहासन न्याय के लिये सिद्ध किया है;और वह आप ही जगत का न्याय धर्म से करेगा,वह देश देश के लोगों का मुक़द्दमा खराई से निपटाएगा।" भजन संहिता – ९:७-८
अगर हम अपने ही तरीके से इंसाफ की मांग करते हैं, या इससे भी बदतर जो हम खुद इंसाफ लेने की ठानते हैं, तो माफ़ी के साथ मिलने वाली महान बरक़त से चूक जाते है।
दोस्त , इसे इस तरह समझो: माफ़ी से पहले इंसाफ की जिद करना ऐसा है जैसे किसी साँप के डसने के बाद, उस साँप को पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ना, बजाय कि पहले अस्पताल जाकर उसके ज़हर को शरीर से निकालना।
माफ़ न करने से जो ज़हर आता है वह आपके अंदर साँप के ज़हर की तरह होता है। यक़िन करें कि ख़ुदा ही आपकी ज़िंदगी के 'साँपों' से निपटेगा। ईमान रखें कि वही सही वक्त पर इंसाफ करेगा, चाहे वो इस ज़िंदगी में हो या आनेवाले ज़िंदगी में, यह उस पर छोड़ दो।
दोस्त , क्या आप अब भी 'साँपों' का पीछा कर रहे हो? अगर आपके दिल में अब भी किसी के खिलाफ़ बदले की भावना है, तो उनके नाम उस सूची में जोड़ो जो आपने पहले दिन बनाई थी।
समय लेकर ध्यान से उन नामों को देखकर कहें, ‘______ मैं आपको माफ़ करता हूँ।’ आप कर सकते हो! अब, इसे छोड़ने के प्रतीक के रूप में, उस सूची को जलाने या फाड़ने का वक्त आ गया है! ऐसा करने से अब आपको कैसा महसूस हुआ?

