दुःख में आंसू बहाना अच्छा हैं लेकिन दुआ करना उससे भी बेहतर हैं!

कल हमने पढ़ा कि ख़ुदा ने अय्यूब के दोस्तों से कहा: “मेरा क्रोध तुम पर भड़का है, क्योंकि जैसी ठीक बात मेरे दास अय्यूब ने मेरे विषय कही है, वैसी तुम लोगों ने नहीं कही।” अय्यूब - ४२:७
क्या आपने कभी सोचा हैं कि ख़ुदा ने क्यू उसके दोस्तों को डांटा लेकिन अय्यूब को नहीं?
अय्यूब और उसके दोस्तों ने ख़ुदा के बारे में बहुत ही बुरी बातें की, यहाँ तक की अय्यूब ३:३ में अय्यूब ने अपने जन्म के दिन को शापित समझा, फिर भी अंत में, ख़ुदा अय्यूब से नहीं बल्कि उसके दोस्तों से नाराज होता हैं, क्यों?
मैं यह समझती हूँ कि अय्यूब वो सारी बातें किसी ओर से नहीं पर ख़ुदा से कह रहा था। ये बातें कच्ची और बिना सोच विचार के बोलने जैसी लग सकती हैं, लेकिन जब वो बाते ख़ुदा से बोली जाती हैं, तो वे दुआ बन जाती हैं! यह जरूरी हैं कि हम अपने आंसूभरे - दर्दनाक पुकारे ख़ुदा की ओर दुआ में उठाये, नहीं तो हम बस आत्मदया और खुद-तरसी के दलदल में फंस जायेंगे।
दुःख में आंसू बहाना अच्छा हैं लेकिन उसी दुःख में दुआ करना उससे भी बेहतर हैं!
दोस्त , क्या आपने कभी चाहा हैं कि आप कभी पैदा ही न होते? अगर मैंने कहा की मैंने ऐसे कभी महसूस नहीं किया हैं तो यह झूट होगा। हमारे बेटे की बीमारी का सामना करते हुए, सबसे अंधेरे क्षणों में, मैंने ख़ुदा से कच्ची और बिना सोच विचार के बोलने जैसी दुआएं की, जैसे अय्यूब ने की थी। मुझे यही उम्मीद है कि आपको ज़िंदगी के ऐसे आंसूभरे और दर्दनाक मुश्किलों से बख्शा गया है और आगे भी बख्शा जाएगा।
ख़ुदा ही एकमात्र हैं जो हमारी कच्ची और बिना सोच विचारों की दुवाओं को समझता हैं और उन्हें अनसुनी नहीं करता हैं। हमारे इजहार करने से पहले ही वह सब कुछ जानता हैं।
दोस्त , आज आप ख़ुदा के बारे में कैसा महसूस करते हैं? ऐसी कौनसी बातें हैं जिनसे आप खफ़ा हैं? क्या आप भुलाएँ गए हुए या तनहा महसूस करते हैं? आज ख़ुदा के साथ ईमानदार होकर अपनी दर्दनाक पुकारों को दुआओं में बदल दें और इससे शुरुआत करें: खुदा, आज मुझे ऐसा लगता हैं...'

