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Publication date 20 मार्च 2025

मंच लुभाते हैं, लेकिन स्तंभ ताक़तवर होते हैं

Publication date 20 मार्च 2025

आपकी सबसे बड़ी परेशनी क्या है - वह बात जो आपको भीतर से बेकरार कर देती है?

यीशु मसीह के लिए, वो फरीसी लोग थे। उसके सबसे कठोर लफ्ज़ उनके तरफ़ थे, क्योंकि वे -

१. लोगों पर भारी बोझ डालते थे।

उन्होंने लोगों को ख़ुदा के क़लाम के नियम और कानून का पालन कराने के लिए, ऐसे शर्तें रखें और अपेक्षाएँ बनाए थे जिन्हें कोई भी पूरा नहीं कर सकता था।

"वे एक ऐसे भारी बोझ को जिसको उठाना कठिन है, बाँधकर उन्हें मनुष्यों के कन्धों पर रखते हैं; परन्तु स्वयं उसे अपनी उंगली से भी सरकाना नहीं चाहते।" मत्ती २३:४  

इसके विपरीत, यीशु मसीह ने खुद के विषय में कहा: "क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हल्का है।”मत्ती ११:३० 

२. क्योंकि वे ध्यान के भूखे थे।

"वे अच्छे कर्म इसलिए करते हैं कि लोग उन्हें देखें। वास्तव में वे अपने ताबीज़ों और पोशाकों की झालरों को इसलिये बड़े से बड़ा करते रहते हैं ताकि लोग उन्हें धर्मात्मा समझें। वे उत्सवों में सबसे महत्वपूर्ण स्थान पाना चाहते हैं। आराधनालयों में उन्हें प्रमुख आसन चाहिये। बाज़ारों में वे आदर के साथ नमस्कार कराना चाहते हैं। और चाहते हैं कि लोग उन्हें ‘रब्बी’ कहकर संबोधित करें।"मत्ती २३:५-७

परंतु यीशु मसीह ने अपने चेलों को कुछ अलग सिखाया:

"तब यीशु ने उन्हें अपने पास बुलाकर कहा, “तुम जानते हो कि गैर यहूदी राजा, लोगों पर अपनी शक्ति दिखाना चाहते हैं और उनके महत्वपूर्ण नेता, लोगों पर अपना अधिकार जताना चाहते हैं। किन्तु तुम्हारे बीच ऐसा नहीं होना चाहिये। बल्कि तुम में जो बड़ा बनना चाहे, तुम्हारा सेवक बने। और तुम में से जो कोई पहला बनना चाहे, उसे तुम्हारा दास बनना होगा। तुम्हें मनुष्य के पुत्र जैसा ही होना चाहिये जो सेवा कराने नहीं, बल्कि सेवा करने और बहुतों के छुटकारे के लिये अपने प्राणों की फिरौती देने आया है।”मत्ती २०:२५-२८

३. क्योंकि वे दूसरों को अयोग्य महसूस कराते थे। 

“हे पाखंडी शास्‍त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! क्योंकि तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बंद कर देते हो; और न तो तुम स्वयं उसमें प्रवेश करते हो और न ही उन्हें जो प्रवेश कर रहे हैं, प्रवेश करने देते हो।"मत्ती २३:१३

फरीसियों के पास उन लोगों की एक बड़ी सूचि थी जो उनके नज़रों में अयोग्य थे: कर जमा करनेवाले, सामरी, शराबी, वेश्याएँ आदि। लेकिन यीशु मसीह तो पापियों के लिए ही आया था (१ तीमुथियुस १:१५) और उसने हमें यह आज्ञा दी:

“तुम सारे जगत में जाकर सारी सृष्‍टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो।" मरकुस १६:१५ 

आख़िर में यह सब इस प्रकार हुआ: फरीसियों को अपने प्रभाव का इस्तेमाल समाज का स्तंभ बनने के लिए करना था, लेकिन उन्होंने इसे सत्ता और निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया। यीशु मसीह ने उनके इस रवैये को उजागर कर दिया।

दोस्त , मंच का होना ग़लत नही है - लेकिन यह आपके ईमानदार इरादों पर निर्भर होता है। आज पवित्र आत्मा को आपके भीतर के सच्चे इरदों को ज़ाहिर करने दो और ये पूछें कि :

"क्या मैं ईमानदारी से आसपास के लोगों के लिए बरक़त और एक मज़बूत स्तंभ बनना चाहता हूँ? या कही मैं मंच और प्रतिष्ठा की लालसा में फ़स रहा हूँ?"

आप एक चमत्कार हैं।

Cameron Mendes
Author

Worship artist, singer-songwriter, dreamer and passionate about spreading the Gospel.