ख़ुदा पर ईमान रख और वो तेरा रास्ता सीधा करेगा

आपको नये साल की पूर्व संध्या मुबारक हो! क्या आप आज दोस्तों और परिवार के साथ जश्न मनाने की योजना बना रहे हैं? जहां आप रहते हैं क्या वहां आतिशबाज़ी के साथ जश्न मनाते हैं?
मैं कुछ और दिनों तक नीतिवचन की किताब से नये साल के संकल्पों की इस सीरिज को जारी रखूँगी और मुझे उम्मीद है कि यह आपको नये साल की शुरुआत मज़बूती से करने के लिए प्रेरित करेगा 💪🏽।
आज का संकल्प एक बेहतर सुननेवाला बनने का हैं ।
सही मायने में सुनना एक कला है - यह उतना आसान नहीं जितना लगता है। मुझे लगता है कि मैं एक बेहतर सुननेवाली हूँ, फिर भी अक्सर मैं यह महसूस करती हूँ कि किसी व्यक्ति की बात पूरी होने से पहले ही मैं अपनी प्रतिक्रिया तैयार करने लगती हूँ। यह वास्तव में सुनना नहीं है ।
बाइबल इसे मूर्खता कहती है:
"ठीक से सुने बिना ही उत्तर देने लगे, तो यह मूर्खता और लज्जा की स्थिति होती है।" - नीतिवचन १८:१३
"मूर्ख का मन समझ की बातों में नहीं लगता, वह केवल अपने मन की बात प्रगट करना चाहता है।" - नीतिवचन १८:२
"क्या तू बातें करने में उतावली करनेवाले मनुष्य को देखता है? उससे अधिक तो मूर्ख ही से आशा है।" - नीतिवचन २९:२०
सुनना अधिक महत्वपूर्ण है; बोलने से कई ज्यादा! बेहतर सुनने के लिए धैर्य, आत्म-संयम और दयालुता की ज़रूरत है। जब यह सही ढंग से किया जाता है, तो समझ, करुणा और विनम्रता को बढ़ावा देता है।
यह केवल इंसानों के साथ बातचीत में ही नहीं, बल्कि ख़ुदा की बात सुनने में भी अधिक महत्वपूर्ण है! अपने सभी दुआओं को ख़ुदा के सामने रखने से पहले (या बाद में), कुछ समय निकालकर उसकी आवाज़ सुनें।
"तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन् सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा।" - नीतिवचन ३:५-६
दोस्त , क्या आप इस साल एक बेहतर सुननेवाला बनना चाहेंगे?
इस वीडियो को ज़रूर देखें, जो सुनने की शक्ति पर बहुत प्रेरणादायक है:
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