वक़्त की शुरुआत से पहले ही, हमें यह फ़ज़ल यीशु मसीह में दिया गया था

क्या आपने कभी गौर किया है कि मोबाइल पर स्क्रॉलिंग करते हुए दस मिनट पलक झपकते ही गुज़र जाते हैं, लेकिन दस मिनट की ख़ामोशी पूरी उम्र के बराबर लगने लगती है?
‘रब दा हिसाब’ बिलकुल अलग हैं; एक दिन हज़ार साल के बराबर और हज़ार साल एक दिन के बराबर हैं! 😵💫
"क्योंकि हज़ार वर्ष तेरी दृष्टि में ऐसे हैं जैसा कल का दिन जो बीत गया, या जैसे रात का एक पहर।" – भजन संहिता ९०:४
"हे प्रियो, यह बात तुम से छिपी न रहे कि प्रभु के यहाँ एक दिन हज़ार वर्ष के बराबर है, और हज़ार वर्ष एक दिन के बराबर है।" – २ पतरस ३:८
इंसान होने के नाते, हम अपनी नश्वर समझ से ख़ुदा को जानने की पूरी क़ोशिश करते हैं। लेकिन ख़ुदा को समझना हमारे बस की बात नहीं हैं - वो हमारी सोच से कई बड़ा, महान और ताक़तवर है! उसका समय को देखने का नज़रिया एक बेहतरीन तरीक़ा है।
आख़िर, हज़ार साल एक दिन के बराबर और एक दिन हज़ार साल के बराबर कैसे हो सकते हैं? किसी भी इंसान के लिए यह हिसाब समझना बिल्कुल नामुमकिन हैं!
जिस ख़ुदा ने सिर्फ़ अपने लफ्ज़ों से वक़्त और इस पूरी क़ायनात का निर्माण किया है, वो वक़्त और हर चीज़ से ऊपर है - हमारे कैलेंडर और घड़ी जिस पृथ्वी, सूरज और चाँद पर आधारित है - वो सब ख़ुदा की ही रचना हैं!
अब इससे भी ज़्यादा हैरान कर देने वाली बात 🤯 यह है कि ख़ुदा हमें, वक़्त की शुरुआत से पहले ही जानता था और उसने हमें अपने मक़सद के लिए चुन लिया था।
"जिसने हमारा उद्धार किया और पवित्र बुलाहट से बुलाया, और यह हमारे कामों के अनुसार नहीं; पर उसके उद्देश्य और उस अनुग्रह के अनुसार है जो मसीह यीशु में सनातन से हम पर हुआ है।" – 2 तीमुथियुस 1:9
दोस्त , आइए आज ख़ुदा की असीम महानता की इबादत और तारीफ़ करें। आप चाहें तो इस गाने को सुन सकते हैं.

