खुदा मेरी रौशनी और बचानेवाला हैं मैं किस से डरूँ

आप क्रिसमस के बारे में कैसा महसूस करते हैं? क्या आप बिल्कुल उत्साहित हैं, या कुछ ऐसी बात भी है जिसकी आप आशा नहीं कर रहे हैं?
जितना क्रिसमस का मौसम ख़ुशियों से भरा होता है, यह अक्सर कुछ कड़वी-मीठी एहसासों को भी उभार देता है। आप इस मौसम के प्रति ऊँची उम्मीदें रख सकते हैं, लेकिन साथ ही उससे डर भी सकते हैं।
क्रिसमस के दौरान, पारिवारिक तनाव फिर से उभर आते हैं, किसी के मृत्यु का गम और अपने किसी अज़ीज़ की कमी और भी ज़्यादा महसूस होती हैं। ऐसे लोग, इस मेल-मिलाप के मौसम में बेहद तन्हा महसूस करते है, ख़ास तौर पर वह, जिनके पास अपना परिवार नहीं है जिसके साथ वो इसे मना सकें।
बाहर से ऐसा लग सकता है कि आप इस पूरे उत्सव के जश्न में ख़ुशी मना रहे हैं और सब कुछ सही चल रहा हैं, मगर अंदर से आप टूट गए हैं। अगर यह आप पर लागू होता है, तो दिल छोटा मत करें और बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना की कहानी से हिम्मत हासिल करें:
एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिसका नाम यूहन्ना था। वह गवाही देने आया कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएँ। वह आप तो वह ज्योति न था, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था। सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आनेवाली थी।" – यूहन्ना १:६-९
यूहन्ना की ज़िन्दगी आसान नहीं थी, मगर उसे अपने हिस्से का काम पता था: रौशनी की गवाही देना (यानि यीशु मसीह की गवाही देना)। यूहन्ना जानता था कि वह रौशनी नहीं है, बल्कि उसे भी उसी असीम रौशनी की ज़रूरत है जो सभी को चाहिए।
इस मौसम में हमें भी मसीह के रौशनी की ज़रूरत है, खासकर उन अंधेरे कोनों में जहाँ खौफ़, तन्हाई, ग़म और दर्द छिपे हुए हैं।
दोस्त आज थोड़ा वक़्त निकालें और अपने सच्ची भावनाएं यीशु मसीह के साथ साझा करें। क्या आप डर रहे हैं, दुखी हैं, चोटिल हैं या गुस्से में हैं? यह सब उसे कहें और दुआ करें कि वह आपके दिल के इन अंधेरे हिस्सों में अपनी रौशनी चमका दे।
अब भजन संहिता २७:१ को ऐलान करें: *"खुदा मेरी रौशनीऔर बचानेवाला हैं -; मैं किस से डरूँ? यहोवा मेरे जीवन का दृढ़ गढ़ ठहरा है, मैं किस का भय खाऊँ?"
(*इस प्रोहत्सान के कुछ आयात मेरे अल्फ़ाज़ और अंदाज़ में लिखे गए हैं)

