बे रोक समर्पण

"बे रोक" और "समर्पण" ये लफ्ज़ एक साथ सुनने में अजीब और विरोधाभासी लग सकते हैं। लेकिन आज, मैं आपको दिखाना चाहती हूँ कि समर्पण में भी एक अनोख़ी ताक़त होती है।
कल हमने दीवारों को पार करने और बड़े सेनाओं का सामना करने की बात की थी, जो उन जंगो के लिए ताक़तवर रूपक हैं, जिनका हम रोज़ाना सामना करते हैं। लेकिन कई बार, जंग जीतने की कुंजी लड़ने में नहीं, बल्कि समर्पण में होती है - अपने दुश्मन के सामने नहीं, बल्कि ख़ुदा के सामने! बाइबल हमें समर्पण करने के लिए प्रोत्साहित करती है:
“तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन् सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा।” – नीतिवचन ३:५-६
ख़ुदा के हवालें होना (समर्पित होने) का मतलब हार मानना नहीं है; इसका मतलब है कि, हम अपनी ही मर्ज़ी के अनुसार चलने के बजाय ख़ुदा के द्वारा निर्देशित होने के लिए खुद को नम्र करते हैं।
“जब हम ख़ुदा को समर्पण करते हैं, तो हम बाहर की चीज़ों से अपनी लगन छोड़ देते है और अंदर के हालात पर ज़्यादा ज़ोर देते है।” – मैरिएन विलियमसन
समर्पण का सबसे बेहतरीन उदाहरण हम अपने प्रभु यीशु मसीह में पाते हैं…
“जिसने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। वरन् अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहाँ तक आज्ञाकारी रहा कि मृत्यु, हाँ, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।” – फिलिप्पियों २:६-८
समर्पण का मतलब है, ख़ुद पर की नहीं, लेकिन ख़ुदा की समस्या-सुलझाने की ताक़त पर पूरा यक़ीन करना और यह स्वीकार करना कि आप अपने बलबूते पर कुछ नहीं कर सकते हैं।
“किसी इंसान के ताक़त की असीमता उसके समर्पण की हद से तय होती है।” – विलियम बूथ
आपको कैसे पता चलेगा कि किस जंग में शामिल होना है और कब समर्पण करना है? इसका जवाब ख़ुदा को पूछने से ही मिलेगा! वही आपका रहनुमा है।
दोस्त , दुआ करें, “ऐ आसमानी पिता, इज़हार कर, मुझे अपनी ज़िंदगी के किस हिस्से में समर्पण करने की ज़रूरत है? तू मुझे क्या कहना और सिखाना चाहता हैं?”

