ख़ुदा की मर्ज़ी को पहचानने की काबिलियत हर विश्वासी के लिए उपलब्ध हैं

‘चमत्कार हर दिन’ को शुरुआत करके तीन महीने हो चुके हैं और हमें अकसर ख़ुदा से मार्गदर्शन पाने के लिए लोगों से मेसेजेस आतें हैं।
चमत्कारों को पढ़नेवाले से हम सम्मानित महसूस करते हैं जिन्हें हमारी बातों पर एतबार हैं। लेकिन कॅमरॉन और मैं पूरी तरह से यक़ीन करते हैं कि ख़ुदा हर विश्वासी को यह काबिलियत देना चाहता हैं कि वे ज़िंदगी में बेहतर, समझदारी से और ख़ुदा से प्रेरित फ़ैसले कर सकें।
इस अहम काबिलियत को फ़र्क़ करना (पहचानना) कहते है और यह एक परिपक्व विश्वासी बनने का भाग है – इब्रानियों ५:१४।इस सप्ताह हम “फ़र्क़ करना सीखेंगे।” 😃
बाइबल में दो प्रकार के फ़र्क़ करने का जिक्र किया है:
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अच्छी और बुरी आत्माओं के बीच फ़र्क़ करने का वरदान, जो कुछ लोगों को ही दिया जाता है।१ कुरिन्थियों १२:७-११
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ख़ुदा की मर्ज़ी को समझने की काबिलियत, जो हमारे मन के नवीनीकरण से आती है और यह हर एक विश्वासी के लिए उपलब्ध है।
"इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारे मन के नए हो जाने से तुम्हारा चाल - चलन भी बदलता जाए, जिससे तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो।"– रोमियों १२:२
जब हम यीशु मसीह के साथ चलते हैं, तो पवित्र आत्मा हमारे मन को नया बनाता हैं। – इफिसियों ४:२२-२३ यह नया मन और ख़ुदा की मर्ज़ी को पहचानने की काबिलियत हर विश्वासी के लिए उपलब्ध हैं! यह सोचना ग़लत है कि केवल कुछ लोग - जैसे कोई भविष्यवक्ता या पासबान ही आपके ज़िंदगी के लिए ख़ुदा की मर्ज़ी बता सकते हैं।
अकसर किसी और को अपने लिए फ़ैसला करना और सही-बुरे का फ़र्क़ बताना आसान लग सकता है लेकिन ख़ुदा की मर्ज़ी को खोजना, उसे अपने ज़िंदगी में मार्गदर्शन करने देना और यक़ीन करना की पवित्र आत्मा सही रास्ता दिखाएगा, ऐसा ईमान ज़रूरी है, जिससे ख़ुदा बेहद ख़ुश होता है।
"और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है; क्योंकि परमेश्वर के पास आनेवाले को विश्वास करना चाहिए कि वह है, और अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है।" – इब्रानियों ११:६
दोस्त , हम मिलकर ख़ुदा का शुक्रिया अदा करें:
"ऐ आसमानी पिता, तेरा शुक्रिया कि तूने मुझे तेरी मर्ज़ी को समझने की काबिलियत दी है। मैं दुनिया की नहीं, बल्कि तुम्हारी राह पर तुम्हारे ओर चलने का फ़ैसला लेती हूँ और दुआ करती हूँ कि पवित्र आत्मा मेरे मन को हर दिन नया बनाए। यीशु मसीह के नाम में। आमीन।"

