मुझे ऐसे इंसान से मिला दे जो मुझ पर मेहरबान हो

कई सालों पहले मेरे ख़ास दोस्त और भाई, पास्टर निकी रायबोरडे ने मुझे यह दुआ, रूत के क़िताब से सिखाई थी जो मेरी सबसे पसंदीदा दुआओं में से एक बन गई। अक्सर, जब हम किसी ख़ास सभा, सरकारी कार्यालय, बैंक, या ऐसी किसी जगह जाते हैं जहाँ हमें किसी की मदद पर निर्भर रहना पड़ता हैं, तब जेनी और मैं यह एक ही वाक्य की दुआ करते हैं…
“ख़ुदा, हमें ऐसे इंसान से मिला दे, जो हमपर मेहरबान हो ”
हम रूत २:२ में, पढ़ते हैं कि, कैसे रूत, फ़सल के समय, बचे हुए दाने इकट्ठा करने के लिए खेत की तलाश में निकलती है। वह नाओमी से कहती है कि वह उस खेत में जाना चाहतीं हैं, जहाँ कोई उस पर मेहरबान हो। आख़िर में, रूत, बोअज़ के खेत पर आती है, जहाँ बोअज़, उसे अज़ीम रेहमत, हिफाज़त, दिलासा और अनाज के ज़रिये मेहेरबानी दिखाता है और वह उससे शादी करने के लिए भी तैयार हो जाता है (रूत २-४:)।
“रूत ने भूमि तक झुककर दंडवत करते हुए कहा, “क्या कारण है, जो मुझ विदेशी स्त्री पर आपकी ऐसी कृपादृष्टि हुई, और आपने मेरी इतनी चिंता की है?” बोअज़ ने उत्तर दिया, “अपने पति की मृत्यु से लेकर अब तक तुमने अपनी सास के लिए जो कुछ किया है।’” - रूत २:१०-११
‘मेहरबानी’ लफ्ज़ का जिक्र उत्पत्ति ६:८ में भी किया गया है, जहाँ ख़ुदा, नूह पर मेहेरबान होता है, और उत्पत्ति १८:३ में, जहाँ अब्राहम, ख़ुदा से मेहेरबानी की गुज़ारिश करता हैं।
अक्सर, ख़ुदा की मेहेरबानी, इंसानों की मेहेरबानी के ज़रिए ज़ाहिर होती है।
जेनी और मैंने, इस सिद्धांत को, हमारे ज़िंदगी में हक़ीक़त में महसूस किया है और लोगों के ज़रिए ख़ुदा की मेहरबानी को अनेक तरीकों से अनुभव किया है। हमें यह समझ में आया है कि कई बार पैसों की मदद, हर दिन की ज़रूरतें या किसी बरक़त के लिए दुआ करने के बजाय, हमें मेहरबानी के लिए दुआ करनी चाहिए।
दोस्त , क्या आपकी ज़िंदगी में ऐसे हिस्से हैं जहाँ आपको ख़ुदा की मेहरबानी की ज़रूरत है? और क्या आप दूसरों पर मेहरबान होना चाहते हैं?
आइए दुआ करें!
“ऐ आसमानी पिता, आज मुझे ऐसे इंसान से मिला दे जो मुझ पर मेहरबान हो और मुझे भी किसी और पर तेरी मेहेरबानी का ज़रिया बना दे। यीशु मसीह के नाम में, आमीन।”

