मोहब्बत सब्रमंद और मेहरबान है।
अब वक़्त है कि हम नए साल, २०२६ की ओर अपनी नज़र डालें।
सच कहूँ तो मैं नए साल के संकल्प बनाने वाला इंसान नहीं हूँ। मेरी नज़र में, ज़िंदगी में आगे बढ़ना एक लगातार अभ्यास होना चाहिए, न कि सिर्फ़ १ जनवरी की कोई रस्मी शुरुआत। फ़िर भी, इस बात का ख़याल ज़रूर रखता हूँ कि नए साल में, मैं अपने क़दम आगे कैसे बढ़ाता हूँ और मेरा देखने का नज़रिया क्या हैं।
इस महीने की शुरुआत में, हम ने साल को सही ढंग से ख़त्म करने के ७ मनन पर ग़ौर किया था। उसी हिसाब से, इस हफ़्ते, हम २०२६ की शुरुआत, ७ सवालों से करेंगे।
आज का सवाल है: वो कौन-सा ऐसा रवैया या बर्ताव हैं जिसे मैं इस नए साल में नयी लगन के साथ बदलना चाहता हूँ?
इस से जुड़कर कुछ सवाल हो सकते हैं:
- अगर मैं अपने क़रीबी लोगों से पूछूँ, तो वे ईमानदारी से क्या कहेंगे कि मेरी सबसे बुरी आदत कौन सी है?
- क्या मैं उनकी बातों से सहमत हूँ कि यह सच में मेरी सबसे बुरी आदत हैं?
मेरी पसंदीदा रोज़ाना प्रोस्ताहन में – द बाइबल इन वन ईयर क़िताब के लेखक, – निकी यह बताते हैं कि कैसे उन्होंने एक मिशनरी से प्रेरित होकर हर दिन १ कुरिन्थियों १३:४-७ पढ़ना शुरू किया। इसमें ‘मोहब्बत’ शब्द की जगह, उन्होंने अपने नाम को जोड़ना चुना। उनका मक़सद यह था कि वे एक दिन उस मुक़ाम तक पहुँचें जहाँ ‘मोहब्बत’ के हर स्थान पर उनका नाम जोड़कर पूरी सूची पढ़ सकें। और जहाँ-जहाँ ऐसा करना संभव नहीं था, वहाँ वे ठहरकर ग़ौर करतें।
वह लिखता हैं:
“१ कुरिन्थियों १३:४-७ की चार आयतें, ‘मोहब्बत सबरामंद है’ से शुरू होती हैं। इसलिए मैंने लिखा, ‘निकी सबरामंद है।’ अब जो लोग मुझे क़रीबी से जानते हैं, उन्हें पता होगा कि मैं वास्तव में सबरामंद नहीं हूँ। इसी बात पर ग़ौर करते हुए मुझे वह सूची को आगे लिखने से अपने आपको वही रुकाना पड़ा!”
यह एक ताक़तवर और नम्र करने वाली सबक़ हैं! निकी की तरह, मैं भी आगे नहीं लिख पाऊँगा - और आप?
फ़िर भी, हमारी क़ोशिश जारी रहनी चाहिए। आइए हम २०२६ में क़दम-दर-क़दम आगे बढ़ें, नए नज़रिये के साथ और पहले से बेहतर मोहब्बत करते हुए।