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Publication date 27 दिस. 2025

सारी धरती उसके सामने ख़ामोश रहें।

Publication date 27 दिस. 2025

कुछ महीने पहले मुझे गले के संक्रमण (लैरिंगजाइटिस) ने घेर लिया था। लगातार खाँसी हो रही थी, गले में तेज़ जलन और दर्द था, और हालत इतनी बिगड़ गई थी कि मुझे कई दिनों तक बिस्तर पर ही आराम करना पड़ा।

उन दिनों में मैंने ज़्यादातर ख़ामोशी में वक़्त बिताया क्योंकि बात करना ज़्यादा दर्दनाक़ था। ख़ामोश रहना थोड़ी परेशानी वाली बात थी, लेकिन सच कहूँ तो, यह भी अनुभव काफ़ी अच्छा और दिल को सुक़ून देनेवाला था।

हम लूका १ में पढ़ सकते हैं कि कैसे सेवक ज़खरिया को भी गूँगेपन (ख़ामोशी) का सामना करना पड़ा क्योंकि उसने फ़रिश्ते गेब्रियल की बात पर यक़ीन नहीं किया था।

जब फ़रिश्ता गेब्रियल, ज़ख़रिया के सामने ज़ाहिर हुआ और यह पैग़ाम दिया कि वह और उसकी पत्नी एलिज़ाबेथ — जो बरसों से निसंतान थे — अब एक संतान पाएंगे, तब ज़ख़रिया ने हैरानी से पूछा:

“मैं यह कैसे यक़ीन कर सकता हूँ? मैं और मेरी पत्नी, दोनों बूढ़े है।”लूका १:१८

इस पर गेब्रियल ने जवाब दिया:

“जब तक मेरे कहे हुए अल्फ़ाज़ पूरे नहीं हो जाते हैं, तु गूँगा रहेगा - क्योंकि तुने मेरी बातों पर यक़ीन नहीं किया।” लूका १:२०

एक मासूम सवाल के लिए ९ महीने की चुप्पी? सुनने में तो यह कुछ ज़्यादा सख़्त सज़ा लगती है!😳 हम ज़खरिया को क़सूरवार नहीं ठहरा सकते हैं - आख़िर वह और उसकी पत्नी एलिज़ाबेथ, बरसों से औलाद के लिए दुआ कर रहे थे, और अब दोनों उम्र के उस मुक़ाम पर पहुँच चुके थे जहाँ किसी बच्चे का होना नामुमक़िन था।

सारा (अब्राहाम की पत्नी) की तरह, ज़खरिया ने फ़रिश्ते के पैग़ाम पर हँसकर शक़ नहीं किया था (उत्पत्ति १८:१२), न ही मूसा की तरह ख़ुदा से सौदा किया था (निर्गमन ४:१३), न ही गीदोन की तरह कोई निशानी मांगी थी (न्यायियों ६:१७) - यहाँ तक कि मरियम, जो कुछ ही आयतों के बाद में गेब्रियल से ऐसे ही सवाल पूछती है (लूका १:३४), जिसके लिए उसे ऐसी कोई सज़ा नहीं मिली।

मुझे लगता है की ज़खरिया की चुप्पी, हक़ीक़त में एक सज़ा नहीं, बल्कि एक छिपी हुई बरक़त थी।

बाइबल में कई जगहों पर ख़ामोशी को एक बरक़त के तौर पर बयान किया गया है — यह एक ऐसी फ़ज़ीलत है जिसे हमें पूरे दिल से अपनाना चाहिए, और ऐसा रवैया है जिसे हमें अपनी ज़िंदगी में संवारना और विकसित करना चाहिए।

“ख़ामोश हो जाओ और जान लो कि मैं ख़ुदा हूँ।”भजन ४६:१०

“ख़ुदा अपने पाक़ मंदिर में है; पूरी धरती उसके सामने ख़ामोश रहे।”हबक्कूक २:२०

*“सुक़ून और यक़ीन में ही आपकी ताक़त है।”यशायाह ३०:१५

हक़ीक़त में, ज़खरिया की ख़ामोशी एक सज़ा नहीं, बल्कि बरक़त थी — एक ऐसा वक़्त, जिसने उसे ख़ुदा पर गहरा यक़ीन करने और अपने ईमान को और मज़बूत बनाने का मौक़ा दिया।

इस आने वाले नए साल में, क्या आप भी ख़ामोशी और सुकून का रवैया अपनाना चाहेंगे? अगर आप इस विषय को और गहराई से समझना चाहते हैं, तो मैंने YouVersion App पर “तन्हाई और ख़ामोशी” पर एक ख़ास पढ़ने की योजना लिखी है — जो आपके लिए उपलब्ध है और जो आपकी रूहानी सफ़र को और मज़बूत कर सकती है。

आप एक चमत्कार हैं।

Jenny Mendes
Author

Purpose-driven voice, creator and storyteller with a passion for discipleship and a deep love for Jesus and India.