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Publication date 23 दिस. 2025

रात भर रोना हो सकता है, मगर सुबह ख़ुशी आती है।

Publication date 23 दिस. 2025

मरीयम के नज़रिए से, क्रिसमस की कहानी को समझने की क़ोशिश करते हुए, मुझे एक पुरानी बात याद आ रही है।

२०२० की क्रिसमस, कॅमरॉन और मैंने मुंबई के हॉस्पिटल में बिताया, क्योंकि हमारे बेटे, ज़ैक को दिसंबर की शुरुआती दिनों में, वायरल संक्रमण की वजह से, आय.सी.यू में भर्ती होना पड़ा था।

ज़ैक वेंटिलेटर पर था, और उसकी नाज़ुक हालत देखकर डॉक्टरों ने हमें उसे उठाने की इजाज़त नहीं दी थी। हम बस उसे हल्के से छू सकते थे — उतना ही, जितना दर्द में डूबा दिल बर्दाश्त कर सके। वह उस वक़्त सिर्फ़ १० महीने का था… मेरी बाँहें उसके लिए तड़पती थीं और हर लम्हा यही दुआ करती रही — “काश, मैं उसे एक बार फ़िर अपनी गोद में भर सकूँ।”

हर दिन मैं डॉक्टरों से वही सवाल करती थी — “मैं उसे फ़िर से अपनी गोद में कब ले सकती हूँ?” दिन बीतते गए, उम्मीद और इंतज़ार के बीच झूलते हुए। फ़िर, क्रिसमस की सुबह, एक डॉक्टर ने बोला, “आप चाहें तो ज़ैक के पास, उसके बिस्तर पर लेट सकती हैं।” उस पल जैसे वक़्त थम गया। ३ लम्बे हफ़्तों बाद, जब मैंने अपने बेटे का नन्हा, नाज़ुक शरीर फ़िर से अपने सीने से लगाया —मेरे अंदर एक सैलाब उमड़ उठा। आँखों से बहते आँसुओं में राहत, शुक्रगुज़ारी और ममता सब घुल गए थे। ज़ैक अब भी गंभीर हालत में था, मगर उस दिन — मेरे लिए वही सबसे बड़ा, सबसे अनमोल क्रिसमस का तोहफ़ा था।

जब मैं अपने बेहोश बेटे के पास लेटी थी, तब अचानक से यह ख़याल मेरे दिल में आया कि, “शायद मरीयम को भी कुछ ऐसा ही महसूस हुआ होगा।”

मरियम ने यीशु मसीह को उस जगह जन्म दिया, जहाँ शायद उसने कभी सपने में भी न सोचा हो। हर तरफ़ से चुनौतियाँ घिरी थीं घर से मीलों दूर, एक अनजान शहर में, ठंडी रात की ख़ामोशी और एक साधारण गौशाला की सीलन के बीच, वह अपने पहले बच्चे को जन्म दे रही थी। ना कोई आराम, ना कोई सुविधा — सिर्फ़ तिनकों की महक, जानवरों की साँसों की गर्माहट, और एक माँ का काँपता हुआ मगर अडिग दिल। और उसी पल, उसके काँपते हाथों में दुनिया का सबसे बड़ा चमत्कार — तारणहार, यीशु मसीह — शांति का राजकुमार —सुक़ून से सोया था।

हमने यह कभी नहीं सोचा था कि हमारा पहला क्रिसमस, हम ज़ैक के साथ, अस्पताल के कमरे की ठंडी दीवारों के बीच मनाएँगे। मरियम ने भी कुछ ऐसा ही महसूस किया होगा - जब उसने सुना कि वह ख़ुदा के बेटे को जन्म देगी, तो उसने शायद यह नहीं सोचा होगा कि उस बच्चे का जन्म इतनी मुश्क़िल हालातों में होगा। फ़िर भी, चाहे वह अस्पताल का कमरा हो या बेतलेहम की गौशाला, जब ख़ुदा हमारे साथ होता है, तब हर मंज़र एक चमत्कार बन जाता है।

आसमान के इस पार, हमारी ज़िंदगी में हम भी कभी-कभी मुश्क़िल हालातों से रूबरू होंगे। फ़िर भी, बाइबल यह वादा करती है:

*“रात भर रोना हो सकता है, मगर सुबह ख़ुशी आती है।”भजन संहिता ३०:५

आप एक चमत्कार हैं।

Jenny Mendes
Author

Purpose-driven voice, creator and storyteller with a passion for discipleship and a deep love for Jesus and India.