ज़हनसीब है वह जिसने यह यक़ीन रखा कि ख़ुदा अपने वादे को पूरा करेगा।
कल, कॅमरॉन ने एलिज़ाबेथ के बारे में बात की, जो एक दोस्त और परिवार की सदस्य थीं, जिसके पास मरियम, यीशु मसीह की माँ, तुरंत गईं जब उसे पता चला कि वह गर्भवती हैं।
कॅमरॉन ने यह बताया कि किस तरह ख़ुदा ने एलिज़ाबेथ को मरियम की ज़िंदगी में एक तजुर्बेकार, समझदार और रूहानी दोस्त के रूप में रखा। मैं इस पहलू को थोड़ा और गहराई से देखना चाहती हूँ और पाँच ऐसी ख़ास बातें साझा करना चाहती हूँ जो एलिज़ाबेथ को एक बेहतरीन और मिसाली दोस्त बनाती हैं।
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वह पवित्र आत्मा से भरी थीं (लूका १:४१)। जब मैं किसी दोस्त से मिलने वाली हूँ, मैं पवित्र आत्मा से दुआ करती हूँ कि वह अपनी आत्मा से मेरे दिल को भरे ताक़ि मेरी बातें प्रोत्साहन और ख़ुदा की मोहब्बत से भरपूर रहे।
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वह नम्र थीं। एलिज़ाबेथ, भले ही मरियम से उम्र बड़ी थीं और एक सम्मानित पासबान की पत्नी थीं, उसने मरियम को ख़ुद से ज़्यादा ऊँचा समझा जब उसने कहा, *“मैं इतनी ज़हनसीब क्यों हूँ कि मेरे ख़ुदा की माँ मुझसे मिलने आई हैं?” (लूका १:४२-४३)। यह सच्ची नम्रता का निशान है (फिलिप्पियों २:३)।
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वह प्रोत्साहित करने वाली थीं। जैसे ही उसने मरियम को देखा, उसने कहा, *“सारी महिलाओं में तू ज़हनसीब है, और जो बच्चा तू जन्म देगी वह भी ज़हनसीब है! ज़हनसीब है वह जिसने यह यक़ीन रखा कि ख़ुदा अपने वादे को पूरा करेगा।” (लूका १:४२,४५)। उसने मौजूदा मुश्किलों पर ग़ौर नहीं किया, बल्कि अपने दोस्त पर ज़िंदगी और बरक़त को ऐलान करने का चुनाव किया।
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वह सच्चे ईमान से भरी थीं और किसी को क़सूरवार नहीं ठहराया। यह जानते हुए कि मरियम शादी से पहले गर्भवती थीं, एलिज़ाबेथ ने उसे क़सूरवार नहीं ठहराया। हक़ीक़त में, युसूफ़ के अलावा, शायद वही अकेली इंसान थीं जिसने ईमान किया कि मरियम, यीशु मसीह को जन्म दे रही हैं और उसे ख़ुदा के वादों पर भरोसा करने के लिए उसकी तारीफ़ की (लूका १:४२-४३,४५)।
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वह ख़ुदगर्ज़ नहीं बल्कि देखभाल करने वाली थीं। हालांकि एलिज़ाबेथ बूढी और ख़ुद गर्भवती थीं, उसने तीन महीने तक़ ख़ुदगर्ज़ी से परे, मरियम की देखभाल और सेवा की (लूका १:५६)।
आज आप किस के लिए, एलिज़ाबेथ जैसी ख़िदमतगार बन सकतें हैं?