हम आँखों देखीं बातों से नहीं पर ईमान से जीते हैं।
कॅमरॉन की एक आदत यह है कि, जब वह मुझे कुछ बताता हैं, तो मैं उन पर लाखों सवाल पूछने लग जाती हूँ। 😅 कभी वह मुझे किसी प्रोजेक्ट या प्रस्ताव के बारे में बताता हैं, और मैं तुरंत शुरू हो जाती हूँ—“लेकिन यह कैसे होगा ?”, “कब होगा?”, “कौन इसमें शामिल है?” और वह मुझे प्यार से देखकर कहता हैं—“जेनी, मुझे अभी सारे डीटेल्स पता नहीं हैं, यह बस एक ख़याल है।”
मरियम की कहानी में, जब फ़रिश्ते ने यह पैग़ाम लाया:
“तू गर्भवती होगी और एक बेटे को जन्म देंगी, और तुझे उसका नाम यीशु रखना हैं। वह माहान होगा और उसे ख़ुदा का बेटा कहलाया जाएगा। ख़ुदा उसे उसके पिता दाऊद का सिहांसन देगा।” – लूका १:३१-३२
तो मरियम ने बस एक ही सवाल पूछा कि “यह कैसे होगा, क्योंकि मैं तो कुँवारी हूँ?” (लूका १:३४) और इस सवाल के बाद बस इतना ही कहा—“मैं ख़ुदावंद की दासी हूँ, जैसा आपने कहा है वैसा ही मेरे लिए पूरा हो।” (लूका १:३८) 😳
शायद इसी वजह से मैं मरियम से बहुत प्रेरित हूँ। मैं सोचती हूँ कि अगली बार जब कॅमरॉन अपने ख़याल साझा करेगा, तब मैं भी एक ही सवाल पूछने की क़ोशिश करूंगी। 🤪
मरियम का ख़ुदा पर ईमान और यक़ीन कितना गहरा था। वह यक़ीनन सवालों और फ़िक्रों से भरी हुई थी—लेकिन फ़िर भी, मरियम ने ख़ुदा पर ऐतबार करना चुना।
यह बात तय है कि आनेवाले नए साल में ख़ुदा हमसे ईमान की उम्मीद रखेगा। हर मसीही को आँखों देखीं बातों से नहीं पर ईमान से चलने के लिए बुलाया गया है (२ कुरिन्थियों ५:७)।
जब आप किसी नामुमक़िन-सी हालात से रूबरू होंगे, तो आपका जवाब क्या होगा? या शायद आप अब भी ऐसी मुश्क़िल रास्तों से गुज़र रहे हैं, तो मरियम के अल्फ़ाज़ में कहें: “मैं ख़ुदावंद की दासी हूँ, जैसा आपने कहा है वैसा ही मेरे लिए पूरा हो।”