धर्मी इंसान सात बार गिरता है, और फ़िर भी उठ खड़ा होता है।
हम इस सीरीज़ — “साल को सही ढंग से ख़त्म करने के लिए ७ रूहानी मनन” — के छठे दिन पर हैं। आज मैं आपको प्रोत्साहित करना चाहता हूँ कि आप अपने दिल में यह सवाल उठाएँ: “जब मैं अपनी ज़िंदगी के पन्नों को पीछे पलटकर देखता हूँ, तो कौन-से ऐसे पल या हालात थे जहाँ मैं कुछ अलग या बेहतर कर सकता था?”
यह वक़्त अपनी ग़लतियों में फँसने या अपने आपको क़सूरवार ठहराने का नहीं है। कुछ महीने पहले ही, मैंने YouVersion Bible App पर ‘क़सूर ख़त्म - क़ुसूरवार आज़ाद’ पर एक पढ़ने की योजना लिखी थी, जिसे आप यहाँ पा सकते हैं।
तो फ़िर, हमें उन पुरानी बातों की ओर क्यों देखना चाहिए जिन्हें हम अलग तरीक़े से कर सकते थे?
क्योंकि यही तो एक ख़ास और अनमोल मौक़ा है — ठहरकर सोचने, सीखने, और यह समझने का, कि इस साल की चुनौतियों भरे हालातों ने हमें क्या सिखाया है। हर मुश्क़िल, हर ठोकर, और हर नाक़ामी के पीछे कोई छिपी हुई सबक़ होती है — जो हमें ईमान में मज़बूत और समझदार बनाती है।
अपनी पुरानी ग़लतियों से सीखें हुए सबक़, आपको आनेवाले कल के लिए तैयार और तैनात करते हैं।
*“धर्मी इंसान सात बार गिरता है, और फ़िर भी उठ खड़ा होता है लेकिन आफ़त में बुरे लोग ठोकर खाकर, गिर पड़ते हैं।” — नीतिवचन २४:१६
ग़लतियों को छुपाने का मतलब है, उन्हें दोहराने का मौक़ा देना।
आज अपने आप से पूछें: क्या अब उस बीती हुए बात के बारे में कुछ किया जा सकता है? क्या जिसे चोट पहुंचाई है उससे माफ़ी माँगनी है? या कोई गुनाह क़बूल करना है?
*“गुनाह छुपाने वाला असफल होता है, लेकिन जो क़बूल करके छोड़ देता है, रहम के क़ाबिल होता है।” — नीतिवचन २८:१३
अपनी ग़लतियों को सुधारना, आपको क़सूरवार नहीं बल्कि ज़्यादा समझदार बनाता है और आख़िर में ज़्यादा सुक़ून से भरता है।
*“इस्राएल का पाक़ और सर्वशक्तिमान ख़ुदा यह फ़रमाता है: ‘पश्चाताप और विश्राम में तुम्हारा उद्धार है, और ख़ामोशी और यक़ीन में तुम्हारी ताक़त।” — यशायाह ३०:१५
सच तो यह है कि हम सभी ने अपने अतीत में कोई-न-कोई ऐसी बात की है जिसका हमें बेहद अफ़सोस और पछतावा है - मगर ख़ूबसूरत बात यह है कि हमारा ख़ुदा, अपनी बेअंत मोहब्बत में, उन बीती बातों को हमारे ख़िलाफ़ नहीं गिनता। बल्कि, वह उन अनुभवों को एक ज़रिया बनाता है — ताकि हम उनसे सीखें, समझें, और पहले से ज़्यादा परिपक्व और मज़बूत बनें。