वक़्त का बेहतर इस्तेमाल करें।
कुछ दिनों पहले, मैंने कहीं पढ़ा कि टॉयलेट पर बहुत देर तक बैठना हक़ीक़त में सेहत के लिए ठीक नहीं है—शायद आपके पैरों में ख़ून का बहना रुक़ जाता है या बवासीर (हैमरॉइड्स) का ख़तरा बढ़ जाता है। 🤷🏻♂️
लेकिन इससे मुझे यह एहसास हुआ कि मैं फ़ोन पर स्क्रॉलिंग करते-करते खो जाता हूँ और इसी वजह से काफ़ी वक़्त बैठकर ज़ाया भी करता हूँ।😏
इसने मुझे यह सवाल ख़ुद से पूछने का हौसला दिया और मैं आपको भी यही करने की सलाह देता हूँ: पिछले साल आपका सबसे ज़्यादा वक़्त ज़ाया करने वाला काम क्या था?
अपने आपसे ईमानदार हो कर इस सवाल का जवाब दे। यह जितना असहज लगता है, उतना ही ज़रूरी भी हैं क्योंकि हक़ीक़त को नजरअंदाज करने से कुछ बदलता नहीं है। तो, इस साल आपने अपना वक़्त कहाँ ज़ाया किया, और ऐसा क्यों हुआ?
मेरे लिए फ़िर वही है — फ़ोन पर बेवजह और बेफ़िक्री से स्क्रॉलिंग करना।
अब आप यह ज़रूर कह सकते हैं कि“थोड़ा वक़्त बर्बाद करने में कोई ग़लती नहीं है।”
वक़्त एक बेशक़ीमती तोहफ़ा है, जिसे आप महज़ एक बार ही इस्तेमाल कर सकते हैं।
*“मूर्खों की तरह नहीं, बल्कि बुद्धिमानों जैसे, वक़्त का बेहतरीन इस्तेमाल करते हुए सावधानी से चलें, क्योंकि दिन बुरे हैं।” – इफिसियों ५:१५-१६
हक़ीक़त में, विश्राम करने में कोई बुराई नहीं है; बल्कि यह एक रूहानी रवैया भी है जिसे ख़ुदा इतना पसंद करता हैं कि उसने पूरे सप्ताह में, एक दिन इसके लिए अलग़ किया हैं, जिसे ‘शब्बाथ’ कहते हैं। – उत्पत्ति २:२-३
लेकिन विश्राम और वक़्त ज़ाया करना — दोनों एक जैसी बातें नहीं हैं। विश्राम आत्मा को तरोताज़ा करता है, मन को शांत करता है, और आपको यीशु मसीह के और क़रीब ले आता है। वहीं दूसरी ओर, वक़्त ज़ाया करना आपको सुस्त, थका हुआ और आध्यात्मिक रूप से बिखरा हुआ महसूस कराता है — जिससे आपका ध्यान धीरे-धीरे ख़ुदा से भटक जाता है।
इसलिए, ठहरकर सोचिए—आप अपना वक़्त कैसे बिता रहे हैं? क्या वो आपके भीतर जोश भर रहा है या बस यूँही बिखर रहा है? अब वक़्त आ गया है कि हम बेक़ार आदतों से आज़ादी पाएँ, और इस अनमोल तोहफ़े — वक़्त — के लिए अपने आसमानी पिता का दिल से शुक्रिया अदा करें.