बीती बातों को भूल जाओ; अतीत में मत फँसो।
दिसम्बर आ गया है!
यक़ीन नहीं होता कि हम इस साल के आख़री महीने में पहुँच चुके हैं। 😱
ज़्यादातर लोग दिसम्बर में आने वाले साल के लिए मंसूबे और संकल्प बनाने लगते हैं — लेकिन मैं थोड़ा ठहरकर, बीते हुए साल पर नज़र डालना पसंद करता हूँ। मैं इस पर ग़ौर करता हूँ कि इस साल ने मुझे क्या सिखाया, किन अनुभवों ने मुझे तराशा, और मैं भीतर से कैसे बदल गया हूँ।
इसीलिए इस हफ़्ते हम साल को सही ढंग से ख़त्म करने के लिए, ७ रूहानी मनन पर ग़ौर करेंगे।
कैम्ब्रिज के शब्दकोश में मनन को इस तरह परिभाषित किया है:
किसी एक बात पर लंबे वक़्त तक, गहराई और ख़ामोशी से ग़ौर करना।
हमारी भागदौड़ भरी ज़िंदगी में, अक्सर हम आने वाले कल पर ही ध्यान लगाते हैं — मगर कभी-कभी ठहरकर, बीते पलों पर मनन करना भी रूह के लिए एक सुक़ून और ताक़त का ज़रिया बन जाता है।
एक तरफ़ पौलुस लिखता हैं:
*“आख़िर में, ऐ भाइयो, उन बातों पर ग़ौर करे जो सच हैं, जो आदर के क़ाबिल हैं, जो इंसाफ़ और पाक़ हैं, जो दिल को ख़ूबसूरत लगें और तारीफ़ के लायक़ हैं, अगर कोई नेकी, कोई क़ाबिले-तारीफ़ बात है, तो उसी पर मनन करें।” — फिलिप्पियों ४:८
मगर ठीक एक अध्याय पहले वह यह भी कहता हैं:
*“मैं एक ही काम करता हूँ — बीती बातों को भुला देता हूँ; और आनेवाले कल की और बढ़ता जाता हूँ।” — फिलिप्पियों ३:१३
तो फ़िर, क्या हमें आनेवाले या बीते कल पर नज़र रखना चाहिए?? 🤔
जवाब है: दोनों पर!
हमें अपने अतीत के उन हिस्सों को पीछे छोड़ देना चाहिए जो हमें बाँधकर रखते हैं — जैसे दर्द, कड़वाहट या नाकामियाँ। उसके बजाय, हमें उन बातों पर मनन करना चाहिए जो हमारी ज़िंदगी में मायने और गहराई से जोड़ती हैं — जैसे सीख, ज्ञान, समझदारी, हासिल की गई क़ामयाबियाँ, और मोहब्बत से भरे रिश्ते।
इसलिए हमारा पहला मनन यह है: इस साल के ऐसे कौन-से नकारात्मक अनुभव है जिसे मुझे पीछे छोड़ देना चाहिए? अब पवित्र आत्मा से दुआ करे कि वह उन बातों को ज़ाहिर करे। फ़िर, उन यादों और उनसे जुड़ी नकारात्मक जज़्बातों और एहसासों को यीशु मसीह के हवाले कर दे।
क्योंकि ख़ुदा यह कहता है:
*“बीती हुई बातों को भुला दो; अतीत में मत फँसो। देखो, मैं एक नया कार्य कर रहा हूँ! अब वह उभर रहा है — क्या तुम्हे दिखाई नहीं दे रहा हैं? मैं बंजर ज़मींन में रास्ता बना रहा हूँ और सूखे मैदानों में नदियाँ बहा रहा हूँ।” — यशायाह ४३:१८-१९