आदर के हक़दार को आदर दे।
फ़ुर्सत के वक़्त मेरी एक पसंदीदा आदत है – पहेलियाँ सुलझाना (पज़ल्स बनाना)। मुझे इस बात पर फ़ख़्र है कि मैं हज़ार-टुकड़ों वाली पहेली को सिर्फ़ पाँच घण्टों में सुलझा सकती हूँ।
किसी की क़ाबिलियत, क़ामयाबी या जीत पर तारीफ़ करने में कोई बुराई नहीं है. रोमियों १३:७ में पौलुस हमें सिखाता हैं कि *“आदर के हक़दार को आदर दे।”
लेकिन कभी-कभी ख़ुदा हमें नामुमक़िन और बर्दाश्त से बहार हालातों से ले चलता हैं जहाँ हम अपनी ताक़त से उस उलझन या पहेली को सुलझा नहीं सकते।
मिसाल के तौर पर, अगर मुझे बंदूक की नोक पर करोड़ों टुकड़ों वाली पहेली महज़ पाँच घण्टों या पाँच दिनों में बनाने के लिए मजबूर किया जाए, तो यह सिर्फ़ ख़ुदा के चमत्कार से ही मुमक़िन होगा जो मेरी अपनी क़ाबिलियत से कहीं बढ़कर हैं।
गिदोन भी ऐसे ही नामुमक़िन हालात में फँसा हुआ था, उसके सामने अनगिनत दुश्मन थे और उसके पास महज़ तीन सौ आदमी की छोटी-सी फ़ौज थी (न्यायियों ७:७-१२).
गिदोन ख़ुद भी कोई फ़ौज का बड़ा अगुआ नहीं था। उसने कहा:
“ऐ ख़ुदा ग़ुस्ताक़ी माफ़ लेक़िन, मैं इस्राएल को कैसे बचाऊंगा? मनश्शे में मेरा कुल सबसे कमज़ोर है, और मैं अपने पिता के घराने में सबसे छोटा हूँ। ” – न्यायियों ६:१५
ख़ुदा का जवाब क्या था? “मैं तेरे साथ रहूँगा।” – न्यायियों ६:१६
यह गिदोन या उसकी फ़ौज के बारे में नहीं था, बल्कि यह ख़ुदा के बारे में था!
आख़िरकार गिदोन और उसकी फ़ौज ने तलवार से नहीं, बल्कि एक हाथ में मशाल और दूसरे में नरसिंगा लेकर दुश्मनों का सामने किया था।
ख़ुदा के मंसूबे में गिदोन को अपनी ताक़त और तैयारी से जंग जीतना, शामिल नहीं था। बल्कि उसका इरादा था कि इस जीत का सारा आदर, सारी महिमा और इबादत ख़ुदा को ही मिले:
“ख़ुदा ने गिदोन से कहा, ‘तेरे पास बहुत लोग हैं। मैं मिद्यानियों को उनकें हातों में नहीं दूँगा, वरना इस्राएल मेरे ही ख़िलाफ़ घमंड करते हुए कहेगा – ‘हमारी अपनी ताक़त से हमने ख़ुद को बचाया।’” – न्यायियों ७:२
कभी-कभी ख़ुदा हमारी ज़िंदगी में ऐसे बोझिल और मुश्किल हालातों को आने देता है जो हमारी क्षमता और सहनशक्ति से कहीं बढ़कर होते हैं - क्योंकि अगर हम उन्हें अपनी ताक़त से सुलझा लेते, तो शायद हम उस महिमा और सारी शान, जो सिर्फ़ उसी की है, उसे देने से रह जाते।
जब भी आप अपने आपको किसी नामुमक़िन हालात में पाते है, तो ख़ुदा से कहें: “मैं उस मंज़र के इंतज़ार में रहूंगी जब तू मुझे इस उलझन से बाहर निकालेगा। यह जंग और जीत, दोनों तेरी ही है।”