आपको इसे अकेले नहीं उठाना पड़ेगा।
मुझे लगता है कि ब्रिटिश रॉक बँड, बीटल्स ने कुछ ख़ास समझा था जब उन्होंने गाकर अपने अल्फ़ाज़ में यह कहा – “दोस्तों की थोड़ी मदद से, मुश्किलें आसान लगते हैं।”
ये ज़माना धीरे-धीरे एक ऐसे मुक़ाम पर आ रहा है, जहाँ हर कोई सिर्फ़ ख़ुद के लिए ही जीता है। यहाँ तक कि एक दोस्त से मदद माँगना भी कभी-कभी एक रुकावट जैसा महसूस होता है। हमें आत्मनिर्भर होने के लिए सिखाया जाता है; जितना ज़्यादा आत्मनिर्भर, उतना ही क़ामयाब माना जाता हैं।
लेकिन यह बाइबल का उसूल नहीं है। बाइबल हमें एक-दूसरे पर निर्भर रहना और एक-दूसरे की मदद करना सिखाती है।
*“एक से दो बेहतर हैं - अगर उन में से कोई गिर जाए तो दूसरा उसे उठा सकता है। लेकिन अफ़सोस उस पर जो अकेला गिर पड़े और उसे उठाने वाला कोई न हो।” – सभोपदेशक ४:९-१०
मूसा, जो बाइबल में सबसे बड़े अगुओं में से एक गिना जाता है, वह इस बात को समझता था कि उसे मदद की ज़रूरत थी। कई बार उसने यह सबक़ मुश्किलों से सीखा कि वह सब कुछ अकेले नहीं कर सकता।
वह कई ऐसे हालातों से गुज़रा, जो उसके बस के नहीं थे।
जब ख़ुदा ने मूसा को इस्राएलियों को ग़ुलामी से रिहा करने के लिए बुलाया था, तो मूसा ने, उसकी हकलाने की वजह से अपने आपको ही नाक़ाबिल ठहराया और वह इस बात से डर रहा था कि इस्राएल के लोग उसकी बात नहीं मानेंगे। आख़िरकार मूसा ख़ुदा से कहता है:
*“ऐ ख़ुदावंद, मुझे नहीं ,किसी और को भेज।” – निर्गमन ४:१३
फ़िर ख़ुदा ने उसके भाई हारून को उसके साथ भेजा जिसकी मदद से मूसा को इस्राएलियों और फ़िरौन का सामना करने का होंसला मिला। (निर्गमन ४)
इस्राएली लोगों के साथ, रेगिस्तान के सफ़र में मूसा की क़ाबिलियत और सहनशक़्ति का इम्तेहान फ़िर एक बार हुआ। लोग बार-बार शिकायतें कर रहे थे – पानी, अगुआई, खाने के बारे में आदि: तब मूसा ने ख़ुदा से अपने तकलीफ़ का इज़हार करते हुआ कहा: *“इन सब लोगों को अकेला सँभालना नामुमक़िन हैं; यह बोझ मेरे बर्दाश्त से बाहर है।” – गिनती ११:१४
इस पर ख़ुदा का हल क्या था?
*“इस्राएल के सत्तर बुज़ुर्गों को मेरे पास लाओ, जो लोगों के बीच अगुओं और अधिकारियों के रूप में जाने जाते हैं - वे तुम्हारे साथ लोगों का बोझ उठाएँगे, ताकि यह बोझ अकेले तुझ पर न पड़े। – गिनती ११:१६-१७
कभी-कभी ख़ुदा हमारी ज़िंदगी में ऐसे बोझिल और मुश्किल हालातों को आने देता है जो हमारी क्षमता और सहनशक्ति से कहीं बढ़कर होते हैं, ताकि हम दूसरों से मदद लेना सीखें।
क्या आपको भी लगता है कि आपकी ज़िंदगी का बोझ बर्दाश्त से बाहर है? याद रखिए, आप अकेले नहीं हैं। हमारी प्रशिक्षित ई-कोच टीम आपके लिए मौजूद है। वे आपकी बातें सुनेंगे और बाइबल से हौसला देंगे। आप इस ई-मेल का जवाब देकर आज ही अपने ई-कोच से बात करें।