मुसीबतों के लिए भी शुक्रगुज़ार रहें।
हम “बे-मिसाल शुक्रगुज़ारी” के सीरीज़ के आख़री दिन तक पहुँच चुके हैं, और ज़ाहिर है, हम इसे अपने आख़री मिसाल पर ख़त्म करेंगे: वो है यीशु मसीह।
बाइबल के अनुसार, यीशु मसीह ने ७ या ८ बार ख़ुदा का शुक्र अदा किया।
उनमें से तीन बार का ज़िक्र, आख़री भोजन के दौरान हुआ था, जैसा कि लूका २२, मत्ती २६, और मरकुस १४ में लिखा है।
यीशु मसीह ने उस भोज के दौरान तीन बार रुक कर शुक्र अदा किया— प्याला बांटने से पहले, रोटी तोड़ने से पहले, और फ़िर खाने के बाद, एक और प्याला लेने से पहले।
जो इस शुक्रगुज़ारी को असाधारण बनाता है, वह यह है कि यीशु मसीह पूरी तरह जानता था कि उस आख़री रात के बाद उसके साथ क्या सलूख़ किया जायेगा। कुछ ही घंटों बाद, दुआ के वक़्त, टूटेपन में उसके पसीने के बदले, ख़ून बहता है (लूका २२:४२-४४)।
फ़िर भी, उस आख़री भोजन के दौरान, यीशु मसीह ने शुक्र अदा किया। न केवल एक बार, बल्कि तीन बार।
यह महज़ रिवाज़ी दुआएँ नहीं थीं जो खाने से पहले रोज़ाना की जाती हैं। वह आख़री भोजन, उस क़ुर्बानी की तस्वीर थी जो यीशु मसीह जल्द क्रूस पर अदा करने वाला था — उसका शरीर ज़ख़्मी था और हर तरफ़ से ख़ून बह रहा था।
यीशु मसीह ने उस रोटी और प्याले के लिए शुक्र अदा किया - रोटी, जो उसके शरीर को और प्याला, जो उसके ख़ून को दर्शाता हैं। फ़िर उसने आनेवाले ज़ुल्म, ज़ख़्म, ज़िल्लत, दर्द और क्रूस की बेरहम मौत के लिए अपने आसमानी पिता का शुक्रिया किया।
मानवता के उद्धार के लिए, यीशु मसीह ने क़ुर्बानी, किसी दबाव या मजबूरी से नहीं, बल्कि शुक्रगज़ार होकर दी। पिता का हुक़ुम मानने का और ज़मीन पर अपने मक़सद को पूरा करने के लिए वो तह दिलसे शुक्रगुज़ार था (यूहन्ना ३:१६-१७)।
मैं दुआ में, शुक्रिया के साथ इफिसियों १:१६-१७ से इस हफ्ते की सीरीज़ को अंजाम देना चाहूँगा।
ऐ आसमानी पिता, तेरी वफ़ादारी और उद्धार के लिए और मेरी सारी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए, मैं तह दिलसे शुक्रिया करता हूँ। मैं आपके ज़िंदगी के लिए और उसे ‘चमत्कार हर दिन’ के परिवार का हिस्सा बनाने के लिए तेरा शुक्रगुज़ार हूँ। उसे रूहानी समझदारी और प्रकाशन अता कर, ताक़ि वो तुझे और गहराई और क़रीबी से जान सकें। आमीन।