ख़ुदा के देने से पहले ही शुक्रगुज़ार रहें।
मेरी पत्नी लज़ीज़ खाना बनाती हैं और मुझे उसका बनाया हुआ खाना बेहद पसंद है।
शादी के शुरूआती दिनों में, उसने एक अहम सबक़ सीखा: हमेशा थोड़ा ज़्यादा खाना बनाएं रखना चाहिए। क्यों? उसने अनुभव किया कि हमारे घर में खाना बहुत जल्दी ग़ायब (ख़त्म) हो जाता था।
अक़्सर ऐसा होता था कि वो दोपहर और रात के खाने के लिए एक ही डिश बनाती थी और उसे लगता था कि वो काफ़ी होगा - लेकिन रात के खाने से पहले ही, मैं उसे ख़त्म कर देता था। मैं क्या करूँ, उसका खाना लाजवाब है। 😇
इसके लिए, जेनी हमेशा ख़ुदा का शुक्रिया अदा करतीं हैं。
मत्ती १४:१७-२१ में हम पढ़ सकते हैं कि कैसे यीशु मसीह और उसके चेलें ऐसी हालात में पाए जातें हैं जहाँ उनके पास सिर्फ़ पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ थीं—और सामने ५,००० लोगों को खाना देना था।
यीशु मसीह ने कुछ अनोखा किया:
“यीशु मसीह ने पाँच रोटियों और दो मछलियों को लेकर, अपनी नज़रें आसमान की ओर उठातें हुए ख़ुदा का शुक्र अदा किया और रोटियों को तोड़ा।”– मत्ती १४:१९
उस चमत्कारी बढ़ोतरी के होने से पहले, यीशु मसीह ने शुक्रगुज़ारी का रव्वैया अपनाया - और उसके बाद क्या हुआ वो तो आप जानते ही है।
उसने अपने आसमानी पिता पर यक़ीन किया, यह जानते हुए कि ख़ुदा उन सबकी ज़रूरतों को पूरा करेगा—और वही हुआ। सबको खाना बांटने के बाद, बारह टोकरीयाँ-भर खाना बच गया। शुरू में जितना था, उससे कहीं ज़्यादा बचा!
आज कुछ वक़्त निकालकर उन ज़रूरतों के लिए ख़ुदा का शुक्र अदा करें, जो अभी तक पूरी नहीं हुई है।
मैं आपकी ख़ातिर फिलिप्पियों ४:१९-२० से दुआ करना चाहता हूँ:
ऐ आसमानी पिता, तेरा शुक्रिया कि तू की सभी ज़रूरतें अपनी महिमा की दौलत के अनुसार यीशु मसीह में पूरी करेगा। तेरी इबादत हमेशा और सदा के लिए होती रहें। यीशु मसीह के नाम में, आमीन।