तोहफ़े से ज़्यादा, देने वाले का शुक्रगुज़ार रहें।
निःसंतान परिवारों की कहानियाँ सुनकर मेरा दिल टूट जाता है। यह दर्द और भी गहरा हो जाता है, जब पत्नी को बच्चों के ना होने के लिए ताने सुनने पड़ें या उसके साथ अन्याय किया जाए।
अफ़सोस की बात है कि आज भी हमारे समाज में यह समस्या बहुत आम है। औरतों को बांझपन का ज़िम्मेदार ठहराकर शर्मिंदा किया जाता है और कभी-कभी उनके साथ हिंसा भी की जाती है। यह हर तरह से ग़लत है!
इसीलिए हन्ना की कहानी इतनी ख़ास और लाजवाब है। वह और उसके पति एक-दूसरे से गहरी मोहब्बत करते थे और ख़ुदा से आदरयुक्त ख़ौफ़ रखते थे। सालों तक उन्होंने संतान के लिए दुआ की, लेकिन हन्ना मायूस और निःसंतान रही (१ शमूएल १)।
और तो और, हन्ना के पति की दूसरी पत्नी—जिसके कई बच्चे थे—उसका लगातार मज़ाक उड़ाती रही, यहाँ तक कि हन्ना इतनी परेशान हो गई कि वह खाना भी नहीं खा पा रही थी।
हन्ना ने ख़ुदा से वादा किया कि अगर वह उसे एक बेटा देगा, तो वह उसे पूरी तरह से ख़ुदा की सेवा में समर्पित करेगी।
आख़िर, उसकी दुआएँ क़ुबूल हुईं और ख़ुदा ने उसे एक बेटा दिया जिसका नाम, शमूएल था।
अपने वादे के मुताबिक़, हन्ना ने शमूएल को ख़ुदा के घर ले जाकर, ख़ुदा की सेवा में समर्पित किया।
हन्ना ने अपने वादे पर न तो पछतावा किया और न ही अफ़सोस महसूस किया। बल्कि, वह गहरी शुक्र्गुज़ारी के साथ ख़ुदा की इबादत करती रही। वह बे-शक़ अपने बेटें से मोहब्बत करती थी, लेकिन उसने तोहफ़ा से ज़्यादा, देने वाले की इबादत की (१ शमूएल २:१-१०)।
उसके अपने लफ़्ज़ों में:
“मेरा दिल ख़ुदा में खुश है; ख़ुदा में मेरा सर ऊँचा हुआ है। मेरी ज़ुबान दुश्मनों पर घमंड करती है, क्योंकि मैं तुम्हारी रिहाई में ख़ुश हूँ। ख़ुदा के अलावा, कोई भी पाक़ नहीं है; तुमसा कोई नहीं है; ख़ुदा जैसी चट्टान कोई नहीं है।” – १ शमूएल २:१-२
क्या कोई ऐसी चीज़ है जिसके लिए आप दुआ कर रहे हैं, जिसकी आप राह देख रहे हैं, या जिसे पाने की आपकी दिली-तमन्ना है? या शायद ख़ुदा ने पहले ही आपको वही दिया है जिसके लिए आप तरस रहे थे।
याद रखें — ख़ुदा का शुक्र अदा सदा करें। न सिर्फ़ उसने जो किया हैं उसके लिए या जो वह आनेवाले कल में करेगा, बल्कि उसकी मौजूदगी के लिए भी।