ख़ुदा आपकी हर ज़रूरत पूरी करेगा
बचपन से ही, मेरे पिता हमेशा हमारी ज़रूरतें पूरी करते रहे हैं। आज भी वो मुझसे पूछते हैं, “क्या आपको किसी चीज़ की ज़रूरत है?”
जब मैं माँ बनी, तब मुझे गहराई से यह एहसास हुआ कि ज़ैक पूरी तरह मुझ पर निर्भर था, और हर छोटी सी छोटी बात के लिए वो मेरी तरफ़ इशारा करता था।
बहुत ही छोटे बच्चे न ख़ुद खाना खा सकते हैं, न कपड़े पहन सकते हैं और न ही ख़ुद को साफ़ कर सकते हैं। और जब बच्चे बड़े भी होते हैं, तब भी वे अपने माता-पिता पर आर्थिक सहारे के लिए निर्भर रहते हैं।
जब ज़ैक ने ६ महीने की उम्र में (बीमार पड़ने से पहले) ठोस खाना खाना शुरू किया, तो उसके लिए छोटे-छोटे टुकड़े उठाकर अपने मुँह तक ले जाना बहुत मेहनत का काम था। खाने के बाद ऐसा लगता था जैसे उसने कोई नामुमक़िन काम कर दिखाया हो — आख़िर उसने ख़ुद को ही खिलाया!
मगर हक़ीक़त यह है कि, खाना मैंने बनाया था, राशन कॅमरॉन ने लाया था और हमारी मेहनत की क़माई से उसका भुगतान हुआ था। ज़ैक पूरी तरह हम पर निर्भर था।
यही सच्चाई हमारे और हमारे आसमानी पिता के साथ भी है। हम अक़्सर इसे महसूस नहीं करते, लेकिन वो हमारा ख़याल रखता है; जिस हवा में हम साँस लेते हैं, जिस घर में हम रहते हैं, हर अच्छी और पूरी बरक़त उसी से आती है (याकूब १:१७)।
मत्ती ६:३१-३३ में यीशु मसीह फ़रमाता हैं:
*“आपका आसमानी पिता जानता है कि आपको खाना, पानी और कपड़ों की ज़रूरत है।”
पौलुस भी इसी यक़ीन को फ़िलिप्पियों ४:१९ में बयान करता है:
*“और मेरा ख़ुदा अपनी दौलत और जलाल के मुताबिक, मसीह यीशु में, आपकी हर ज़रूरत को पूरा करेगा।”
लेकिन जब हम इस हक़ीक़त को भूल जाते हैं तो क्या होता है? हम फ़िक्र करने लगते है।
कॉरी टेन बूम ने कहा था:
“फ़िक्र कल के ग़म को कम नहीं करती; ये सिर्फ़ आज की ताक़त और सुक़ून छीन लेती है।”
कितनी सच्ची बात है ना? फ़िक्र करने से कोई हल नहीं निकलता है, लेकिन हमें और कमज़ोर ज़रूर बना देती है।
इसीलिए, उसी हिस्से में (मत्ती ६:३१-३३), यीशु मसीह साफ़ लफ़्ज़ों में कहता है — *“फ़िक्र न करे!”
तो फ़िर हमें क्या करना चाहिए? एक बच्चे जैसी निर्भरता को चाहिए।
वो मासूम, बेफ़िक्र और भरोसेमंद रवैया जो कहता है, “जो कुछ भी मेरे रास्ते आएगा, मैं ठीक रहूँगी, क्योंकि मुझे पता है कि मेरा पिता इसे आसानी से संभाल लेंगे!”
जैसे दाऊद ने भजन संहिता ११८:६ में कहा:
*“ख़ुदावंद मेरे संग है; मैं नहीं डरूँगा। इंसान मेरा क्या बिगाड़ सकता है?”
आज आप चाहे जिस भी हालात का मुक़ाबला कर रहें है, याद रखिए: आपके आसमानी पिता के पास हर उलझन का हल और हर ताले की चाबी।