बच्चे एक इनाम और अमानत हैं
बच्चों का दिन मुबारक हो!
क्या आप जानते हैं कि भारत में १४ नवंबर को ‘चिल्ड्रन्स डे’ क्यों मनाया जाता है जबकि दुनिया भर में इसे २० नवंबर को मनाया जाता है?
क्योंकि -पंडित जवाहरलाल नेहरू, जो भारत के पहले प्रधानमंत्री थे और जिन्हें बच्चे प्यार से चाचा नेहरू कहते थे, उनका जन्मदिन १४ नवंबर को था। और इसीलिए भारत में इस दिन को बच्चों का दिन एलान किया गया था।
यह उनके बच्चों के प्रति गहरी मोहब्बत और दर्शन को सम्मानित करने के लिए रखा था, क्योंकि वह बच्चों को राष्ट्र का सबसे बड़ा ख़ज़ाना और आनेवाले कल की सबसे रौशन उम्मीद मानते थे।
शायद अनजाने में वह एक गहरी और बाइबल की सच्चाई बयान कर रहे थे, जो भजन संहिता १२७:३ में लिखी है:
“बच्चे ख़ुदा की ओर से मिली हुई अमानत हैं, गर्भ का फ़ल उसकी ओर से इनाम है।”
बच्चे महज़ हमारे भविष्य के कारण क़ीमती नहीं, बल्कि इसलिए भी कि उनकी मासूम हैरानी और अनमोल खूबियाँ हमें उस मासूमियत की याद दिलाती हैं, जिसे हम बड़े होते-होते कहीं खो देते हैं।
बच्चों को हैरत और अचम्भे से भर जाने के लिए बहुत थोड़ी सी चीज़ काफ़ी होती है—एक छोटा सा तोहफ़ा, कोई जादू, या कोई चुटकुला और उनकी आँखें हैरानी से चमक उठती हैं।
ठीक वैसा ही प्रक्रिया ख़ुदा चाहता है जब हम उसकी ओर देखें: बच्चों जैसी हैरानी।
“पूरी ज़मीन ख़ुदा का आदरयुक्त ख़ौफ़ करे; और दुनिया के तमाम रहनेवाले उसकी अज़मत के आगे हैरत और ताज्जुब में खड़े हो जाएँ।” – भजन संहिता ३३:८
मुझे एक छोटी बच्ची की कहानी याद आती है, जिसने अपने पिता को एक टूटा हुआ खिलौना ठीक करते देखा, तो हैरत से चिल्ला पड़ी: “पिताजी, मुझे लगता है आप कुछ भी ठीक कर सकते हैं!” उसकी हैरत वो छुपा ना सकी।
ठीक उसी मासूम बच्ची की तरह, हम भी ख़ुदा की ओर नज़रें उठाकर उस पर भरोसा कर सकते हैं, क्योंकि वही है जो हक़ीक़त में हर चीज़ को ठीक कर सकता है।
भजन संहिता ८:३-४ में दाऊद राजा में भी यही हैरानी और मासूमियत झलकती हैं:
“जब मैं आपके आसमान को, आपकी उँगलियों से बनाए गए कामों को, चाँद और सितारों को, जिन्हें आपने ठहराया है, देखता हूँ, तो इंसान क्या है कि आप उसकी फ़िक्र करे, और आदमी की औलाद क्या है कि आप उसकी परवाह करें?”
आज ज़रा ठहरकर ख़ुदा की भलाई और उसकी अज़मत पर ग़ौर करते हुए उसे सराहिए।