ख़ुदा में हमेशा ख़ुश रहे
क्या आपने ‘हॅप्पी फिट’ फ़िल्म देखी है?
ये कहानी है एक छोटे से पेंग्विन, मंबल की हैं, जो दूसरों की तरह गा नहीं सकता था। इस वजह से वह उस दुनिया में अजनबी सा हो गया था। लेकिन फ़िर उसने यह ख़ोजा कि उसके पास एक बेशकीमती टॅलेंट है—टॅप डांसिंग (पैरों से नाचकर आवाज़ निकलना) और वह इससे चारों तरफ़ ख़ुशियाँ फ़ैलाता है।
मंबल मुझे, हमारे बेटे ज़ैक की याद दिलाता है।
ज़ैक बहुत गंभीर रूप से विकलांग था; वह बोल नहीं सकता था, चल नहीं सकता था, न बैठ सकता था और न ही खा सकता था। आख़िरकार, २०२५ में उसने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
सीमाओं और क़मज़ोरियों के बावजूद, ज़ैक हर जगह अपनी जगमगाती मुस्कान और बेफ़िक्र हँसी से माहौल को रोशन कर देता था। उसकी चमकती आँखें और छोटी-छोटी बातों में ढूँढी गई ख़ुशियाँ — इन्हें नज़रअंदाज़ करना नामुमकिन था।
बाइबल में ख़ुशी और जश्न का ज़िक्र बार-बार किया गया है:
*"हमेशा ख़ुदावंद में ख़ुश रहें। मैं फ़िर कहता हूँ: ख़ुश रहें!" – फ़िलिप्पियों ४:४
*"ख़ुशदिल इंसान अच्छी दवा है, लेकिन टूटा हुआ रूह हड्डियों को भी सूखा देता है।" – नीतिवचन १७:२२
मासूम और बेफ़िक्र ख़ुशी बच्चों में तो बड़ी आसानी और स्वाभाविक रूप से नज़र आती है, लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, हम धीरे-धीरे उस मासूमियत को कहीं खो बैठते हैं।
तहक़ीक़ात से पता चला है कि बच्चे एक दिन में तक़रीबन ४०० बार मुस्कुराते हैं, जबकि बड़े सिर्फ़ २० बार मुस्कुराते है।
मत्ती १८:३ में यीशु मसीह ने हमें बच्चों जैसा बनने की सीख दी है और मेरा यक़ीन है कि बच्चों जैसी मासूम और ख़ुशमिज़ाजी की तलाश करना उसका एक बड़ा हिस्सा है।
तो, आज आप ख़ुशी को चुनें। खुलकर हसें, चाहे ज़िंदगी बोझ से दबी क्यों न लगे। छोटी जीतों का जश्न मनाइए, चाहे बड़ी जंग अभी राह में हों और ये याद रखिए कि ख़ुदा की ख़ुशी ही आपकी ताक़त है (नहेम्याह ८:१०)
मैं आपके लिए रोमियों १५:१३ से ये दुआ करती हूँ:
*"उम्मीद का ख़ुदा, आपको सारी ख़ुशी और पुर-सूक़ुन से भर दे जब आप उस पर ऐतबार करे।"