ख़ुदा पर पुर-यक़ीन का दिल रखे।
जब मेरे भांजे-भांजियाँ छोटे थे, मेरी सबसे प्यारी यादों में से एक यह थी कि उन्हें अपनी बाँहों में कूदने देना — कभी मेज़ से, कभी सोफ़े से, और कभी स्विमिंग पूल के किनारे से।
वे बिना किसी हिचकिचाहट के साथ मुझपर छलांग लगाते, यह जानते हुए कि मैं उन्हें पकड़ लूंगी।
उनका यूँ बिना देखे और सब कुछ यक़ीन के साथ करना वाक़ई बेहद ख़ूबसूरत लगता था। बिना किसी हिसाब-क़िताब के और अंजाम से बे-ख़बर, वे बस कूद पड़ते थे — क्योंकि यक़ीन करना ही उनकी फ़ितरत है।
ख़ुदा हमें भी इसी तरह के यक़ीन के महफ़िल का न्योता दे रहा है: बच्चे सा यक़ीन।
“अपनी ख़ुद की समझ पर नहीं, बल्कि ख़ुदा पर अपने पुरे दिल से यक़ीन रख।” – नीति वचन ३:५
बच्चे महज़ कूदते समय चिंता नहीं करते। वे हक़ीक़त में किसी भी चीज़ की ज्यादा फ़िक्र नहीं करते। वे भरोसा रखते हैं कि उनके माता-पिता उन्हें खिलाएंगे, उनको महफूज़ रखेंगे और उनका ख़याल रखेंगे।
ख़ुदा हमारी भी देखभाल करता है, क्योंकि हम उसके बच्चे हैं और इसलिए हमें फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है:
“इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ, कि ज़िंदगी में फ़िक्र न करे कि आप क्या खाएँगे या क्या पीएँगे; और अपने शरीर की फ़िक्र न करे कि आप क्या पहनेंगे। आसमान के परिंदों को देखे; वे न बोते हैं, न काटते हैं और न ही कोई भंडार भरते हैं, फ़िर भी तुम्हारा आसमानी पिता उन्हें रोज़ खिलाता है। क्या तुम उनसे कहीं ज़्यादा क़ीमती नहीं हैं?”” – मत्ती ६:२५-२७
बच्चों जैसा होना मतलब है कि आप अपनी पूरी जिंदगी का बोझ, अपनी जरूरतें, अपना डर, अपना भविष्य, अपने बे-जवाब दुआएँ और अपनी नाज़ुक उम्मीदें उसके हवाले कर दें। यह जानना और समझना है कि वही ख़ुदा जिसने आसमानो को तारो से सजाया और समुंदर के पानी को उसके जगह पर रखा, उसी हाथोने आपको भी थमा है और वह आपको कभी असफ़ल नहीं होने देगा।
तो, क्या आप आज उसी सरल बच्चे जैसे ईमान के साथ ख़ुदा पर भरोसा करने का फ़ैसला करेंगे और दुआ में अपने दिल की बात ज़ाहिर करेंगे?