• HI
    • AR Arabic
    • CS Czech
    • DE German
    • EN English
    • ES Spanish
    • FA Farsi
    • FR French
    • HI Hindi
    • HI English (India)
    • HU Hungarian
    • HY Armenian
    • ID Bahasa
    • IT Italian
    • JA Japanese
    • KO Korean
    • MG Malagasy
    • MM Burmese
    • NL Dutch
    • NL Flemish
    • NO Norwegian
    • PT Portuguese
    • RO Romanian
    • RU Russian
    • SV Swedish
    • TA Tamil
    • TH Thai
    • TL Tagalog
    • TL Taglish
    • TR Turkish
    • UK Ukrainian
    • UR Urdu
Publication date 4 नव. 2025

नम्रता का मतलब हैं, ख़ुद-फ़रामोशी होना।

Publication date 4 नव. 2025

यह हफ़्ता हम नम्रता पर ग़ौर कर रहे हैं। इस विषय की सबसे बेहतरीन व्याख्या मुझे ब्रँट हैनसन की एक बात में मिली:

“असली नम्रता अपने आप को गिरा देने या यह जताने में नहीं है कि आप हर काम में कमतर हैं। असली नम्रता दरअसल ख़ुद-फ़रामोशी है।

ख़ुद-फ़रामोशी। क्या ज़बरदस्त ख़याल है! ये दुनिया की तौर-तरीके से ठीक विपरीत है। सोशल मीडिया, विज्ञापन, यहाँ तक कि पढ़ाई भी – सब कुछ मेरे सपने, मेरी योजनाएँ, मेरा करियर, मेरे ज़ज्बात के बारे में है।

बाइबल हमें नम्रता के बारे में ये कहती है:

*“किसी काम को अपनी ख़ुदग़रज़ी या फ़िज़ूल ग़ुरूर के लिए न करे, बल्कि नम्रता में दूसरों को अपने से ऊँचा दर्जा दे।”फिलिप्पियों २:३  

अपने मक़सद को पूरा करने के लिए, ख़ुदग़रज़ न बने। बिल्कुल भी नहीं।

और… दूसरों को अपने से ऊँचा दर्जा दे।

ग़ौर फ़रमाइये - इसमें ये नहीं लिखा हैं कि “अपने आप को किसी से कम समझे”, बल्कि ये कहा गया है कि “दूसरों को अपने से ऊँचा समझे।”

अगर हम सिर्फ़ अपने आपको या अपनी क़ामयाबियों को या अपने प्रभाव को क़म दिखाकर या तारीफ़ स्वीकार न करके नम्र होने का दावा करते हैं – तो हक़ीक़त में हम अब भी अपने ही बारे में सोच रहे हैं।

नम्रता का असली मक़सद अपने बारे में नहीं, बल्कि दूसरों के बारे में सोचना है, और आख़िरकार ख़ुदा की ओर मन लगाना है。

सी. एस. लुईस एक नम्र इंसान को इस तरह बयान करते हैं:

“वह नम्रता के बारे में नहीं सोचेगा: वह अपने बारे में भी बिल्कुल नहीं सोचेगा।”

नम्रता का असली और मुक़म्मल उदाहरण, यीशु मसीह है जिसने अपनी जान तक क़ुर्बान कर दी - क्योंकि उसने हमारे उद्धार को अपनी ज़िंदगी से ज़्यादा क़ीमती समझा।

*“इंसान बन कर, उसने अपने आप को शून्य कर दिया, और एक दास का स्वरूप धारण किया। इंसान के रूप में ज़ाहिर होकर उसने अपने आप को नम्र किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मौत, हां, क्रूस की बेरहम मौत भी सह ली।”फिलिप्पियों २:७-८ 

ज़रा आपके ख़ुद के ख़यालों पर ग़ौर करे। एक पुरे दिन में आप अपने बारे में कितना सोचते है? आपकी ख़ूबसूरती, लोगों की आपके बारे में क्या राय हैं, या आप किस सलूक के हक़दार हैं?

मैं जानता हूँ कि ये सवाल शायद दिल को चुभनेवाले हैं लेकिन पूछना भी ज़रूरी है!

ख़ुदग़रज़ी हम सब की फ़ितरत हैं और यह ज़माना भी हमे अपने आप में ही मगन रहने के लिए प्रोस्ताहित करता हैं। मगर नम्रता, आसानी से हासिल नहीं होती है। ये यीशु मसीह की तरह बनने का एक सही फ़ैसला है। और ये एक ऐसी आदत है जिसे हम अपनी ज़िंदगी में विकसित कर सकते है।

आने वाले दिनों में हम इस सफ़र को मिलकर तय करेंगे। 🤝🏽

आप एक चमत्कार हैं।

Cameron Mendes
Author

Worship artist, singer-songwriter, dreamer and passionate about spreading the Gospel.