बे-गरज़ मोहब्बत हमारे दिलों में मौजूद बे-यक़ीनी को मिटा देती है। – टिम केलर
मैंने एक गाँव की कहानी सुनी थी—जहाँ दुल्हन की क़ीमत गायों से तय होती थी। सबसे ख़ूबसूरत स्त्री के लिए १०० गायें दी जाती थीं, और कम सुंदर के लिए उतनी ही कम।
एक नौजवान लड़के ने एक लड़की का हाथ माँगा जिसे लोग साधारण और क़म ख़ूबसूरत मानते थे, लेकिन उसने उसके पिता को १०० गायें देने की पेशकश की। लड़की के पिता ने हैरान होकर यह बोला—“वो २० की भी लायक़ नहीं है!” लेकिन उस लड़के ने ज़िद की और पूरी क़ीमत चुका दी।
हनीमून से लौटने के बाद वही लड़की एक़दम बदली हुई दिखी—रौशन, नूरानी, और अपनी पहली पहचान से कहीं ज़्यादा ख़ूबसूरत। जब गाँववालों ने हैरान होकर पूछा ये कैसे हुआ? तो उस लड़के ने कहा: “मैंने उसे बस इतना बताया कि वो १०० गायों की क़ीमत से कहीं बढ़कर, ख़ूबसूरत औरत है।”
ऐसे ही, उदार, बेपनाह और बे-शर्त मोहब्बत हमें बदल देती है।
कभी–कभी लोग शिक़ायत करते हैं कि फ़ज़ल का पैग़ाम अधूरा है—क्योंकि वे मानते हैं कि अगर माफ़ी बिल्कुल मुफ़्त है, तो लोग और ज़्यादा पाप करेंगे।
मगर ख़ुदा की बेहिसाब मोहब्बत और माफ़ी इंसान के समझ से परे है।
टिम केलर ने कुछ ऐसे कहा:
“…अपनी ज़िंदगी की क़ीमत अदा करके, [यीशु मसीह] ने हमारे गुनाहों का क़र्ज़ चुका दिया और हमारे लिए वो जगह ख़रीदी जहाँ हमारे दिल को असल सुक़ून मिलता है—अपने पिता के घर में। जब हमें इसकी पूरी समझ होगी तब यह हमको पूरी तरह से बदल देगी।”
हमारे दिल की गहराई तब बदलती है, जब हम यह समझते हैं कि हमें घर लौटाने के लिए कितनी भारी क़ीमत चुकाई गई थी। और जब हमारी नज़र उस ख़ूबसूरती से भरी हुई क़ुर्बानी पर पड़ती है जिसे यीशु मसीह ने हमारे लिए अंजाम दिया, तो हमारा दिल अपने आप उसकी ओर खिंछा चला जाता है।
इसीलिए कभी–कभी मुझे लगता है क़ाश यीशु मसीह ने ‘अय्याश बेटे की कहानी’ (लूका १५:११-३२) वहीं ख़त्म न की होती। ज़रा सोचिए, पिता की बे-शर्त मोहब्बत और बेहिसाब माफ़ी ने उस छोटे बेटे को कितना ईमानदार, वफ़ादार, मोहब्बत करने वाला और शुक्रगुज़ार बेटा बना दिया था।
आज कुछ वक़्त निकालकर, यीशु मसीह की ख़ूबसूरत क़ुर्बानी पर ग़ौर करें और उसके बलिदान को याद करते हुए उसकी बे-शर्त मोहब्बत और माफ़ी को क़ुबूल करे।