सबसे मुश्किल समय में भी, शिद्दत से दुआ करें

क्या आप भी उन दिनों को याद करतें हैं जब ९० के दशक में कलाईबैंड्स का ट्रेंड था?
मसीही लोग ये रबर की कलाईबैंड्स पहनते थे, जिन पर लिखा होता था ‘यीशु मसीह की क्या प्रतिक्रिया होगी’ । यह उन्हें हर पल यह याद दिलाने के लिए था कि हमें और ज़्यादा यीशु मसीह के समान बनना है और ऐसे ही फ़ैसले लेने हैं, जो, जैसे यीशु मसीह हमारी जगह होता, तो लेता।
एक और कलाईबैंड था, जिस पर लिखा होता था ‘लगातार दुआ करें, जब तक द्वार ना खुलें। - यही मेरा सबसे फेवरेट था!
ये एक ताक़तवर बात है कि जब हमारी दुआओं के जवाब फ़ौरन न मिले, तो हार न मानें बल्कि लगातार दुआ करे जब तक वो रंग न लाये।
हमारा होंसला आसानी से टूट जाता हैं जब दुआ का जवाब हमारे हिसाब से नहीं मिलता या आने में वक़्त लगता हैं। मगर याद रखें कि हर दुआ असरदार और अहम हैं।
बाइबल हमें सिखाती है:
*"तक़लीफ़, सब्र पैदा करती है, सब्र शख़्सियत को और शख़्सियत, उम्मीद को। और उम्मीद हमे शर्मिंदा नहीं करती है क्योंकि पवित्र आत्मा के ज़रिये, ख़ुदा की बेपनाह मोहब्बत हमारे दिलों में भर दी गई हैं।” — रोमियों ५:३-५
क्या आप भी किसी ग़म से गुज़र रहें हैं और आपको लग रहा है कि आपकी सारी दुआएँ बस छत से टकराकर लौट रही हैं? तो हिम्मत न हारिए! जितनी बार आप उस हालत के लिए दुआ करते रहोगे, उतनी ही गहरी उम्मीद आपके दिल में जड़ पकड़ती जाएगी।
यही एक और वजह है कि, दुआ और ख़ास तौर से लगातार और सब्र के साथ की जाने वाली दुआ, कितनी अहमियत रखती है—वो हमारे अंदर सब्र, शख़्सियत और उम्मीद को जन्म देती है।
जब हम अपने बेटे ज़ैक (जिसका हाल ही में देहांत हुआ) की शिफ़ा के लिए दुआ कर रहे थे, तो इलाज में कोई सुधार न देखकर और दुआओं के जवाब न मिलने से हमारा दिल टूटा हुआ था। मगर दूसरी तरफ़, इस हक़ीक़त ने हमें उम्मीद दी कि ख़ुदा ज़ैक को शिफ़ा देने के लिए राज़ी और क़ाबिल है। अगर वो उम्मीद न होती, तो शायद हमे उस दर्दनाक़ सफ़र को पार करना मुश्किल होता।
अगर आप भी किसी नाउम्मीदी के हालातों से गुज़र रहें हैं, तो हार न माने और लगातार दुआ करे! और ये याद रखें: लगातार दुआ, जवाब के द्वार को खोल देती है और असरदार होती है।

