ख़ुदा के क़रीब आओ और वो आपके क़रीब आएगा

कॅमरॉन और मैं कुछ गुप्त इशारे और जुमले इस्तेमाल करते हैं। मिसाल के तौर पर, अगर हम दोस्तों के साथ कहीं बाहर हों और हम में से कोई घर जाना चाहे, तो एक ख़ास जुमला कहकर हम एक-दूसरे को इशारा कर देते हैं। हमें यह बहुत अच्छा लगता है कि हम इस तरह बात कर पाते हैं और कोई और समझ भी नहीं पाता—ये मानो हमारी सीक्रेट लैंग्वेज हैं और यक़ीनन ये हमारे रिश्ते को मज़ेदार बनाती है!
बहुत हद तक, दुआ भी ऐसी ही होती है।
बे-शक़, ऊँची आवाज़ में दुआ करना अच्छा है—चाहे परिवार के साथ, चर्च में, या दूसरों के लिए। लेकिन जब आप तन्हाई में, ख़ुदा के सामने अकेले दुआ करते हैं, तो वो आपके और ख़ुदा के बिच का गुप्त इशारा या सीक्रेट लैंग्वेज है।
*“दुआ के वक़्त, अपने कमरे में जाकर दरवाज़ा बंद करे और अपने अदृश्य आसमानी पिता से सीधे बात करे। तब तुम्हारा पिता, जो छुपा हुआ सब कुछ देखता है, गुप्त में दुआ को सुनकर तुम्हें इनाम देगा।” – मत्ती ६:६
अगर आप किसी रिलेशनशिप काउंसलर से या किसी शादीशुदा जोड़े से पूछें, तो वो कहेंगे कि हर रिश्ते की सबसे अहम बुनियाद है, बातचीत करके अपने दिल के हाल को ज़ाहिर करना है।
और दुआ वही है: आपके और ख़ुदा के बीच बातचीत। यही वो सबसे असरदार तरीक़ों में से एक है जिससे आप अपना रिश्ता ख़ुदा के साथ मज़बूत और मज़ेदार बना सकते हैं।
दुआ के वक़्त आप ख़ुदा के और क़रीब आ जाते हैं।
*“ख़ुदा के क़रीब आओ और वो आपके क़रीब आएगा।” – याकूब ४:८
ख़ुदा आपकी आवाज़ सुनना पसंद करता है। मुझे फिल्म द शॅक का एक बेहद प्यारा सीन याद आता है, जहाँ मॅक ख़ुदा से पूछता है:
“आपको तो पहले ही मालूम है कि मैं क्या कहने वाला हूँ, है न?”
और ख़ुदा जवाब देता है:
“हाँ, लेकिन मैं चुनता हूँ कि तेरी हर बात को ऐसे सुनूँ जैसे वो पहली बार कही जा रही हो।”
आज अकेले में, एक बंद कमरे में या किसी ख़ास जगह पर कुछ वक़्त निकालकर, जब आप दुआ में ख़ुदा के क़रीब आते हैं तो उसे भी इजाज़त दे कि वह आपके क़रीब आ जाए।

