जैसे परिंदे के लिए पर और जहाज़ के लिए पाल, वैसे ही रूह के लिए दुआ है। — कॉरी टेन बूम

क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आप पैदल चल रहे हों या गाड़ी चला रहे हों और अचानक रास्ते के किनारे कोई अजीब-सी चीज़ नज़र आ जाए और जाने-अनजाने आपका ध्यान और क़दम उसी ओर मुड़ जाएँ?
इसीलिए यह बहुत ज़रूरी है कि हमेशा अपनी निगाहें रास्ते पर टिकाए रखें!
यही बात हमारे मन पर भी लागू होती है। जिस चीज़ पर आप अपने विचारों को टिकाते हैं, उसी दिशा में आपकी ज़िंदगी बढ़ती है। तो फिर हम अपने मन के लिए सही रुख कैसे तय करें? दुआ करने के ज़रिये!
दुआ, आपके ध्यान को फ़िक्रों से हटा कर ख़ुदा की ओर ले जाती है।
“जैसे परिंदे के लिए पर और जहाज़ के लिए पाल, वैसे ही रूह के लिए दुआ है।" — कॉरी टेन बूम
मैंने देखा है कि जब मैं अपने ख़यालों के जाल में फँस जाती हूँ, तो मेरी परेशानियाँ हक़ीक़त से कहीं ज़्यादा बड़ी लगने लगती हैं—मानो मेरे सामने कोई ऊँचा और दुर्गम पहाड़ खड़ा हो गया हो, जिसके पार जाने का कोई रास्ता दिखाई ही नहीं देता।
लेकिन जब वही परेशानी को मैं दुआ में ख़ुदा के सामने पेश करती हूँ, तो कुछ बदल जाता है। शायद मसले क़म नहीं हो जाते —मगर मेरा ध्यान ज़रूर उस सर्वशक्तिमान, ताक़तवर ख़ुदा की ओर जाता है। असल फ़र्क़ नज़रिया का है। जब आप अपनी नज़रें यीशु मसीह और ख़ुदा की महानता पर टिकाते हैं, तो बाकी सब कुछ अपने-आप छोटा नज़र आने लगता है—यहाँ तक कि सबसे ऊँची और कठिन चुनौतियाँ भी। इसीलियें, जब नज़र बदलती है, तो नज़ारे भी बदल जाते हैं।
बाइबल हमें बताती है:
*“हम सब्रगुज़ारी के साथ उस दौड़ को दौड़ें जो हमारे लिए तैय किया गया है और अपनी निगाहें यीशु मसीह पर टिकाए रखें, जो ईमान की बुनियाद और क़ामिल करने वाला है।” – इब्रानियों १२:१-२
और:
*“अपना मन आसमानी बातों पर लगाएँ, न कि ज़मीनी बातों की ओर।” – कुलुस्सियों ३:२
आज अपनी तमाम फ़िक्रें, दुआ में ख़ुदा के सामने पेश करे। अपने मन को मसलों से हटा कर ख़ुदा के मंज़िलों पर टिकाएं रखें।

