ख़ुदा रहमत और फ़ज़ल से भरपूर है और उसकी मोहब्बत बेहिसाब है।

बचपन में हमारे पास ज्यादा पैसे नहीं थे। मेरे पिता एक फुल-टाइम पास्टर थे और उनकी छोटी तनख्वाह पर ही हमारा गुज़ारा चलता था। मुझे अब भी याद है कि मेरी माँ किस क़दर सब कुछ संभालती थीं—हमेशा इस बात का ख़्याल रखते हुए कि कोई अनचाहा ख़र्च न हो।
अगर ग़लती से हम कोई कपड़ा फाड़ देते या काँच का गिलास तोड़ देते, तो यक़ीनन हमें लापरवाही के लिए डाँट पड़ती थी। और इस वजह से हम अपने आपको क़ुसूरवार मानते थे।
मैं, मेरे माता-पिता का दिल से शुक्रगुज़ार हूँ कि उन्होंने पैसों की कमी के बावजूद, हमारी बेहतरीन तरीक़े से परवरिश की। लेकिन हर ग़लती पर सज़ा मिलने की उम्मीद ने मेरे सोचने का तरीक़ा ऐसा बना दिया कि मैंने अपने और ख़ुदा के रिश्ते में भी यही तरीक़ा अपना लिया। ग़लती करने के बाद वही डर, नाक़ामी और क़सूर का एहसास जाग उठता—जैसे ख़ुदा मुझसे बहुत निराश और खफ़ा हैं।
क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है? क्या आपको भी ऐसा लगता है कि आपका आसमानी पिता वही प्रतिक्रिया दिखाएगा, जो आपके दुनियावी पिता किया करते थे (या अब भी करते हैं)?
बाइबल हमें यक़ीन दिलाती है कि:
“ख़ुदा रहमत और फ़ज़ल से भरपूर है और उसकी मोहब्बत बेहिसाब है।” — भजन संहिता ८६:१५
जब यीशु मसीह हमारे ख़ातिर सूली पर चढ़ा, तब हमारी तरफ़ ख़ुदा का सारा ग़ुस्सा और न्याय, उसने अपने ऊपर ले लिया, और हमारे सारे गुनाहों का बोझ उठाकर क़ुर्बान हुआ। और याद रखे कि:
“अगर हम अपने पापों को क़बूल करेंगे, तो वह हमे हमारे सारे गुनाहों को माफ़ और हमे पाक करने के लिए वफ़ादार और न्यायी हैं।” —१ यूहन्ना १:९
यीशु मसीह ने आपके बदले में ख़ुदा का ग़ुस्सा अपने ऊपर ले लिया, ताकि आपको कभी न सहना पड़े!
“अब जबकि हम उसके लहू से पाक ठहराए गए हैं, तो उसके ही ज़रिये ख़ुदा के क्रोध से क्यों न बचाए जायेंगे!” — रोमियों ५:९
बार-बार चूक जाना इंसानी फ़ितरत है, और हर बार माफ़ कर देना ख़ुदा की बेअंत रहमत है।
ख़ुदा की दावत हमेशा मेहरबानी, रहमत और फज़ल से भरपूर हैं — उसमे शर्म, डर और क़सूर शामिल नहीं हैं!
आओ मिलकर दुआ करें:
ऐ आसमानी पिता, मैं तेरा शुक्र अदा करता हूँ कि तू हमेशा मुझे खुली बाहों से अपनाता है और शुक्रिया कि तूने अपना सारा ग़ुस्सा, नाराज़गी और सज़ा यीशु मसीह पर डाल दिया, ताकि मैं आपकी मोहब्बत, रहमत और फ़ज़ल हासिल कर सकूँ। यीशु मसीह के नाम में, आमीन।

