ग़लतियाँ आपकी पहचान नहीं हैं।

मैं आमतौर पर बहुत ही सावधान, होशियार और पहले से तैयार रहने वाला इंसान हूँ। ख़ासकर गाड़ी चलाते समय मैं पूरी तरह चौकस रहता हूँ। जेनी के मुताबिक़, मैं सबसे बेहतरीन और महफ़ूज़ गाड़ी चलाने वाला हूँ।🥰
यह शायद कई सालों से मुंबई जैसे शहर में, गाड़ी चलाने का नतीजा है। 😅
इसीलिए जब मैं गाड़ी चलाते हुए कोई ग़लती करता हूँ, तो मैं ज़्यादा परेशान हो जाता हूँ। अभी कुछ दिन पहले ही, मैंने रास्ते की चौड़ाई का ग़लत अंदाज़ा लगा लिया और आगे का टायर बैरिकेड से टकरा गया। शुक्र है, गाड़ी को कुछ नुक़सान नहीं हुआ, लेकिन यह बात मुझे कई दिनों तक खटकती रही。
जब आपसे कोई ग़लती हो जाती हैं, तो आपकी प्रतिक्रिया क्या होती हैं?
मिसाल के तौर पर…
- जब आप ग़लती से ग़लत इंसान को मैसेज भेजते हैं।
- जब ग़ुस्से में अपने बच्चों पर बरस पड़ते हैं।
- जब कोई ज़रूरी बिल वक़्त पर अदा करना भूल जाते हैं।
- जब आपसे अपने अज़ीज़ दोस्त का जन्मदिन चुक जाता हैं।
अक़्सर हम अपनी ग़लतियों की वजह से अपने आपको क़ुसूरवार ठहराते हैं। लेकिन अगर हम ग़ौर से सोचें, तो ग़लतियाँ—भले ही परेशान करने वाली क्यों न हों—असल में क़ीमती होती हैं क्योंकि यह हमे कुछ सिखने का मौक़ा देती हैं। किसी ने ख़ूब ही कहा है, “ग़लतियाँ करना बस यह साबित करता है कि आप तेज़ी से सीख रहे हैं।”
मैं आपको यह चुनौती देता हूँ कि आप अपनी ग़लतियों को उनकी असल हक़ीक़त में देखें: अपने क़दम को आगे बढ़ाने और एक ऊँची छलांग मारने का मौक़ा, जिससे आप और तेज़ी से सीखें और बेहतर बने।
ग़लतियों से न तो आपकी ज़िंदगी ख़त्म होती है, और न ही आपकी पहचान बनती है।
अगर आपकी ग़लतियाँ पश्चाताप और माफ़ी की मांग करती हैं, तो उन्हें ख़ुदा के सामने ले आइए!
*“ख़ुदाई ग़म वह पश्चाताप लाता है जो उद्धार की ओर ले जाता है और हर अफ़सोस को मिटा देता है; जबकि दुनियावी ग़म महज़ मौत लाता है। २ कुरिन्थियों ७:१०
अगर ऐसा करने के बाद भी आप क़ुसूरवार महसूस कर रहे हैं, तो इसका मतलब है कि क़सूर के एहसास ने आप पर क़ाबू पा लिया है।
अपनी ग़लतियों के लिए सज़ा देने का हमारा तरीका अक्सर, अपने आप को ही क़ुसुरवार ठहराना होता है - लेकिन ख़ुदा हमारे लिए ऐसा नहीं चाहता।
“ख़ुदा नहीं चाहता कि हम अपने क़सूर मिटाने के लिए ख़ुद को सज़ा दें। उसने हमारे जैसे क़ुसुरवारों को आज़ाद करने के लिए अपने ही बेटे यीशु मसीह को हमारे क़ुसूर की सज़ा दी। – बायरन चैपल
अब कोई भी आपको इल्ज़ाम देने या क़ुसूरवार साबित करने का हक़दार नहीं है। आपकी ग़लतियाँ आपको क़सूर की कब्र में दफ़न नहीं करेंगी, बल्कि आपको आगे बढ़ाने और तरक्क़ी देने के लिए एक ख़ूबसूरत सबक बन जाएँगी।!
इसलिए, उसकी फ़ज़ल और माफ़ी को क़ुबूल करतें हुए, अपना सर उठाकर जियें!

