सबसे ज़्यादा, अपने दिल की हिफ़ाज़त करें।

आज हम फ़िक्र पर जीत पाने की सीरीज़ के आख़री दिन पर हैं — सफ़र जो फिलिप्पियों ४:६-७ पर आधारित हैं।अब जब फ़िक्र बेअसर हुआ है, तो हम, आपके दिल और मन की हिफाज़त करने का यह आख़री क़दम ले रहे हैं।
इस हफ़्ते के आयत का आख़री हिस्सा हमें ये बताता है कि यीशु मसीह ही हमें ऐसा सुक़ून दे सकता है:
*"फ़िक्र न करें, बल्कि हर बात के लिए दुआ करें। अपनी ज़रूरतें, ख़ुदा के सामने रखें और उसने अब तक़ जो किया है, उसके लिए शुक्रगुज़ार रहे। फ़िर तुम ख़ुदा का ऐसा सुक़ून महसूस करोगे जो समझ से परे है - और जैसे तुम मसीह यीशु में जी रहे है, वही सुक़ून, तुम्हारे दिलों और मनों को महफ़ूज़ रखेगा। – फिलिप्पियों ४:६-७
लेकिन यह क्यों ज़रूरी है कि आपका दिल और मन महफूज़ रहें? इस पर नीतिवचन में लिखा हैं:
*“सबसे ज़्यादा, अपने दिल की हिफ़ाज़त करे, क्योंकि तुम्हारे सारे कर्मों का सर्चश्मा तुम्हारा दिल है।”– नीतिवचन ४:२३
ख़ुदा की वफ़ादारी, मोहब्बत और भलाई, असीम और अटल है — लेकिन हमारा अपना दिल, मन, हमारे ख़यालात और ख़ासकर हमारे जज़्बात हमें दगा दे सकते हैं।
हमारा बर्ताव, ख़ासकर तब जब हम दुखी, नाराज़ या बेहद जज़्बाती हों, दूसरों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। डर हमें अजीब तरीक़े से सोचने और पेश आने पर मजबूर कर देता है, और दुनियाभर में कई लोग ऐसी झूठी बुनियाद पर अपनी पूरी ज़िंदगी गुज़ार देते हैं।
*“हमारा दिल सबसे ज़्यादा दग़ाबाज़ है और इलाज से परे - उसे भला कौन पूरी तरह समझ सकता है? – यिर्मयाह १७:९
दुनिया कहती है कि अपने दिल की सुनो, अपने जज़्बातों पर यक़ीन करो, या अपने अंदर की आवाज़ पहचानो...पर मैं आज आपको याद दिलाना चाहती हूँ: अपने दिल पर नहीं, बल्कि ख़ुदा पर ऐतबार करें!
*”अपनी समझ का सहारा न ले बल्क़ि दिल-ओ-जाँ से ख़ुदा पर ऐतबार कररें। सब कुछ उसके हवाले कर दे और वही तेरे तमाम रास्तों को सीधा करेगा ।” – नीतिवचन ३:५-६
आप अपने दिल और मन की हिफ़ाज़त करे और सारी फ़िक्रों को ख़ुदा के हवाले करें। और फ़िर, उस पुर-सुक़ून को हासिल करे जो सारी समझ से परे है।

