फ़िक्र न करें, पर शुक्रगुज़ार रहे।

इस हफ़्ते हम ‘फ़िक्र नहीं, मुस्कुराएँ’ इस थीम पर ग़ौर कर रहें हैं।
*"फ़िक्र न करें, बल्कि हर बात के लिए दुआ करें। अपनी ज़रूरतें, ख़ुदा के सामने रखें और उसने अब तक़ जो किया है, उसके लिए शुक्रगुज़ार रहे। फ़िर तुम ख़ुदा का ऐसा सुक़ून महसूस करोगे जो समझ से परे है - और जैसे तुम मसीह यीशु में जी रहे है, वही सुक़ून, तुम्हारे दिलों और मनों को महफ़ूज़ रखेगा। – फिलिप्पियों ४:६-७
आज हम इस आयत के चौथे भाग पर ग़ौर करेंगे: “और उसने अब तक़ जो किया है, उसके लिए शुक्रगुज़ार रहे।”
तो मैं आज हमारे थीम में एक बदलाव का सुझाव देना चाहती हूँ, वो है: “फ़िक्र नहीं, मुस्कुराएँ के बदलें, फ़िक्र न करें, पर शुक्रगुज़ार रहे।”
हम बॉबी मैकफ़ेरिन के गीत के बोल तो नहीं बदल सकते, मगर सच यह है कि शुक्रगुज़ारी ही बेफ़िक्र ज़िंदगी की असली चाबी है।"
बाइबल में शुक्रगुज़ारी की बहुत अहमियत है और इसका ज़िक्र भी लगभग १५० बार हुआ है।
यीशु मसीह ने भी पाँच रोटियों और दो मछलियों को तोड़ने और बाँटने से पहले, ख़ुदा का शुक्र अदा किया और फ़िर, पाँच हज़ार से भी ज़्यादा लोगों को खिलाया। (मत्ती १४:१९)।
चमत्कार होने से पहले, यीशु मसीह ने ख़ुदा का शुक्रिया किया।
यही शुक्रगुज़ारी का असर है — यह ईमान को जागृत करती है और ख़ुदा के लिए चमत्कार का रास्ता खोल देती है। इसलिए, चमत्कार, चंगाई, हालात में बदलाव और बेदारी के इज़हार से पहले ही, ख़ुदा का शुक्र अदा करें और इसे अपनी आदत बना लें।
शुक्रगुज़ारी का एक और अहम असर यह है कि, यह हमारी निगाहों को परेशानियों और ख़ुद पर से हटाकर, ख़ुदा की भलाई और फ़ज़ल की ओर मोड़ देती है।
और ये सिर्फ़ आत्मिक रूप से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी साबित हुआ है।अध्ययनों से पता चलता है कि शुक्रगुज़ारी का रवैया, गहरी ख़ुशी, सकारात्मक जज़्बात, बेहतर सेहत, मुश्किल हालात से निपटने की क़ाबिलियत और मज़बूत रिश्तों को बनाने से जुड़ा हुआ है।
तो, मैं आपको उत्साहित करना चाहती हूँ कि:
*"हर पल ख़ुश रहे, लगातार दुआ करे, हर हालात में शुक्रगुज़ार रहे; क्योंकि मसीह यीशु में तुम्हारे लिए यही ख़ुदा की मर्ज़ी है।" (१ थिस्सलुनीकियों ५:१६-१८)
आज कुछ वक़्त निकालकर उन बातों की सूची बनाइए जिनके लिए आप शुक्रगुज़ार हैं। उसमें वे बातें भी शामिल करना न भूलें, जो अभी पूरी नहीं हुईं — इस यक़ीन के साथ कि ख़ुदा उन्हें भी ज़रूर पूरा करेगा!

