ऐ ख़ुदा, तेरे लिए कुछ भी मुश्किल नहीं

कुछ दिन पहले हम अपने टीवी पर एक स्ट्रीमिंग डिवाइस इंस्टॉल करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वो काम नहीं कर रहा था। हमने डिवाइस को रीसेट किया, टीवी को अनप्लग किया, वाय -फाय राउटर को रीस्टार्ट किया, यहां तक कि अपने फ़ोन से ऐप को दोबारा इंस्टॉल भी किया—फिर भी कुछ नहीं। 😤
एक पल ऐसा आया कि मैं हार मानने ही वाली थी, लेकिन तभी कॅमरॉन ने दुआ की: "ख़ुदावंद, इसे चलने दे। यीशु मसीह के नाम में, आमीन।" मैंने आख़री बार कोशिश की और... वो चलने लगा!! 🤩
कॅमरॉन यह सोच सकता था कि, “ये तो बस टीवी सेटअप है—इतनी मामूली सी बात के लिए ख़ुदा को क्यों परेशान करें?” लेकिन मैं ख़ुश हुई कि उसने ऐसा नहीं सोचा।
हम हर बात के लिए दुआ कर सकते है, चाहे वो बड़ी हो या छोटी। बाइबल भी हमें यही सिखाती है:
*"फ़िक्र न करें, बल्कि हर बात के लिए दुआ करें। अपनी ज़रूरतें, ख़ुदा के सामने रखें और उसने अब तक़ जो किया है, उसके लिए शुक्रगुज़ार रहे। फ़िर तुम ख़ुदा का ऐसा सुक़ून महसूस करोगे जो समझ से परे है - और जैसे तुम मसीह यीशु में जी रहे है, वही सुक़ून, तुम्हारे दिलों और मनों को महफ़ूज़ रखेगा। – फिलिप्पियों ४:६-७
आपको यह ख़ास हक़ मिला है कि आप अपनी हर फ़िक्र, हर परेशानी, हर ज़रूरत और ख़यालात, बड़े या छोटे हो, ख़ुदा के सामने पेश कर सकते हैं।
ज़रा सोचिए: आपका रसोई घर और बाथरूम, दोनों जगह पाइप में छेद होने की वजह से पानी लीक हो रहा है। एक प्लंबर कहता है कि वो दोनों पाइप मुफ़्त में ठीक कर देगा। लेकिन आप कहते हैं, “सिर्फ़ रसोई वाला ठीक कर दे — बाथरूम वाला मैं ख़ुद ही टेप लगाकर संभाल लूँगी।”
छोटी-बड़ी परेशानियों को लेकर फ़िक्र करना, वैसा ही है जैसे लीक होनेवाले पाइप पर टेप लगाना, जबकि कोई जानकार (=ख़ुदा) उसे पूरी तरह ठीक करने को राज़ी है। आख़िरकार, ख़ुदा सारी क़ायनात का निर्माणकर्ता है—उसके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है! यिर्मयाह ३२:१७
सर आइज़ैक न्यूटन ने कहा था:
“अंधी आँखें जिस तरह रंगों से बेख़बर रहती हैं, वैसे ही हमारी सोच उस सर्वज्ञानी ख़ुदा तक नहीं पहुँच पाती, जो हर राज़ को साफ़ साफ़ देखता और समझता भी है।"”
मैं आपको यीशु मसीह के क़दमों में हर मामूली या ग़ैर-मामूली बात और हर फ़िक्र को रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती हूँ। वही है जो आपकी ज़िंदगी के हर छोटे से छोटे पहलू की परवाह करता है।
क्या आप आज हर ज़रूरत और हर फ़िक्र को, चाहे वह मामूली या ग़ैर-मामूली हो, दुआ और शुक्रिया के साथ, ख़ुदा के हवाले करना चाहेंगे?

