फ़िक्र, कल के ग़म दूर नहीं, पर आज का हौसला कम ज़रूर करता है।

क्या आपने कभी वो मशहूर गीत सुना है – ‘डोन्ट वरी, बी हॅपी?’ ये उन गीतों में से एक है जिसकी धुन दिलकश और दिल को भानेवाली है कि ज़ेहन में बस जाती है और बार-बार गुनगुनाने को दिल करता है।
मुझे नहीं पता कि इस गीत के लेखक़, बॉबी मैकफ़ेरिन एक मसीही थे या नहीं, लेकिन मुझे लगता है कि उन्होंने उन चंद लफ्ज़ों में एक गहरी बाइबल की सच्चाई को ज़ाहिर किया: फ़िक्र न करें।
इस हफ़्ते, हम फ़िक्र से आज़ादी हासिल करने पर ग़ौर करेंगे — उस आयत के साथ जो मेरे दिल के बहुत ही क़रीब है: फिलिप्पियों ४:६-७:
*फ़िक्र न करें, बल्कि हर बात के लिए दुआ करें। अपनी ज़रूरतें, ख़ुदा के सामने रखें और उसने अब तक़ जो किया है, उसके लिए शुक्रगुज़ार रहे। फ़िर तुम ख़ुदा का ऐसा सुक़ून महसूस करोगे जो समझ से परे है - और जैसे तुम मसीह यीशु में जी रहे है, वही सुक़ून, तुम्हारे दिलों और मनों को महफ़ूज़ रखेगा। – फिलिप्पियों ४:६-७
आप इन दिनों किन बातों को लेकर फ़िक्रमंद हैं?
- आर्थिक स्थिति?
- स्कूल की पढ़ाई या नौकरी में क़ामयाबी?
- आपकी या आपके बच्चों की सेहत?
- एक अनजाना कल?
अक्सर मुश्किलें बाहर से आती हैं, लेकिन फ़िक्र अंदर ही अंदर हमें खोखला कर देती है।
अब मैं आपसे एक और सवाल पूछना चाहती हूँ: अगर आप फ़िक्र करना छोड़ दें, तो आपकी ज़िंदगी कैसी नज़र आएगी?
मैं ये नहीं कह रही कि, आप लापरवाह या गैर-ज़िम्मेदार बन जाएँ। बल्कि बस वो छोड़ दें जो आपके क़ाबू में नहीं है।
यीशु मसीह हमें बुलाता हैं कि हम हर चीज़ पर अपना क़ाबू छोड़कर, पूरी तरह उस पर यक़ीन करना सीखें।
*“इसलिये मैं तुम से कहता हूँ, कि तुम अपनी ज़िंदगी में फ़िक्र न करें कि तुम क्या खाएँगे; न अपने जिस्म की, कि क्या पहिनेंगे। तुम में से ऐसा कौन है जो फ़िक्र करने से अपने क़द को बढ़ा सकता है?” – लूका १२:२२, २५
सच कहूँ तो फ़िक्र करने से कुछ भी भला हासिल नहीं होता।
कॉरी टेन बूम ने बहुत सही कहा था:
“फ़िक्र, कल के ग़म दूर नहीं, पर आज का हौसला कम ज़रूर करता है।”
आज ख़ुदा से ये दुआ करें कि वो आपको ताक़त दे, ताकि आप उस पर पूरा यक़ीन कर सकें और अपनी हर फ़िक्र उसके हवालें कर सकें। क्योंकि वही एक है जो आपकी सारी फ़िक्रों और परेशानियों का हल निकाल सकता हैं。

