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Publication date 25 सित. 2025

देखें बिना, तुमने उससे मोहब्बत की।

Publication date 25 सित. 2025

क्या आप भी मेरी तरह हर बात को समझने और उसकी वजह जानने की ख्वाइश रखते है?

शायद यही इंसानी फ़ितरत है — जैसे ये हमारी रगों में दौड़ती हो।हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जहाँ हर दिन की खबरें, लोगों की न थमने वाली रायें और सोशल मीडिया की अंतहीन कॉन्टेंट, हमारे दिल और दिमाग़ पर गहरा असर छोड़ती है। हम हर बात पर ज़रूरत से ज़्यादा सोचते हैं, हर चीज़ को तौलते हैं, और हर अनुभव को जोड़कर, मन-ही-मन कोई तस्वीर बनाने की कोशिश करते है — मानो सब कुछ समझ लेना ही राहत की चाबी है।

हमें हर वक़्त स्पष्टता, वजह और हल की तलाश रहती है। लेकिन ज़िंदगी अक्सर कोई सीधी या सुलझी हुई वजह नहीं देती।

लेकिन एक ऐसी मोहब्बत है जो हमारे समझ से परे है — इतनी गहरी और अटल, कि उसे देखने या सबूत की ज़रूरत नहीं। यही वो मोहब्बत है जिसका ज़िक्र पतरस अपने क़िताब में करता है:

*“देखें बिना, तुमने उससे मोहब्बत की — और अब, जब तुम उस पर यक़ीन करते है, तो तुम्हारा दिल उस बयाँ न करनेवाली और महिमा से भरी ख़ुशी से भर उठा है। ”१ पतरस १:८-९

पतरस यह ख़त उन ईमानदार मसीहियों को लिख रहा है, जिन्होंने कभी यीशु मसीह को अपनी आँखों से बीमारों को चंगा करते, तूफ़ानों को शांत करते, या मृत्यु को पराजित करते नहीं देखा — फ़िर भी उनका ईमान अटल है। यह ईमान किसी आम यक़ीन की तरह नहीं, बल्कि एक जलती हुई आग की मानिंद है — जो वक़्त, हालात और तकलीफ़ों के बावजूद क़ायम रहती है। और उस ईमान से उन्हें कोई मामूली ख़ुशी नहीं मिलती, बल्कि एक ऐसी ख़ुशी, जिसे लफ़्ज़ों में बयाँ नहीं किया जा सकता — एक गहरी और महिमा से भरी हुई ख़ुशी, जो इस यक़ीन से आती है कि उनकी रूह को जन्नत हासिल हुई है।

ऐसा ईमान वाक़ई बेहद ख़ूबसूरत होता है। जो न तो चिन्हों और चमत्कारों पर निर्भर रहता है और न ही सबूतों की माँग करता है। यह बस यीशु मसीह से लिपटा रहता है— उस यक़ीन के साथ जो अटल और क़ायम है। ऐसे ईमान से स्वर्ग झूम उठता हैं और ख़ुदा जश्न मनाता है — क्योंकि यह अदृश्य पर यक़ीन करके, आसमान को भी हिला देता है।इंतज़ार के मौसम में, अनसुनी दुआओं के बीच और दर्द और उलझन के लम्हों में — यह आयत हमें याद दिलाती है कि हमारा ईमान हमारे एहसासों या हालात पर नहीं टिका होता। यह ईमान उस पर टिका होता है जो बदलता नहीं — हमारे ख़ुदा की वफ़ादारी, उसकी भलाई, और उसके वादों पर। जब हमारी आँखें रास्ता न देख पाएं और दिल थक कर चुप हो जाए — तब भी यह ईमान पुर-यक़ीन के साथ हमें थामे रखता है।

यीशु मसीह भले ही आपकी आँखों से ओझल है, مگر वह बेशक़ ज़िंदा और मौजूद है। उसके वादे आज भी सच्चे हैं और उसकी हुज़ूरी आज भी आपके बेहद क़रीब है।

क्या आज आप यीशु मसीह पर तब भी ईमान रखेंगे जब उसकी आवाज़ सुनाई नहीं देती और दुआओं के जवाब ख़ामोश हैं? क्या आप उसकी रोशनी पर तब भी ऐतबार करेंगे जब हर तरफ़ अंधेरा है और आगे का रास्ता धुँधला, अनिश्चित और अनजान है?

आप एक चमत्कार हैं।

Cameron Mendes
Author

Worship artist, singer-songwriter, dreamer and passionate about spreading the Gospel.