इस बेरहम ज़िंदगी के बीच भी, ख़ुदा की भलाई पर यक़ीन करें।

एक ज़माने में, टीवी पर ‘घडी डिटर्जेंट’ का यह गीत, ‘पहले इस्तेमाल करें फ़िर विश्वास करें’ काफ़ी मशहूर था। क्या आपने कभी यह सुना हैं? बात-बात पर सबूत मांगने वाली इस दुनिया के लिए, ये मानना आसान होता है कि ‘पहले देखें फ़िर यक़ीन करें’। लेकिन अगर आप यीशु मसीह पर ईमान रखनेवालों में से हैं, तो इस फ़्लॉप सोच और तरीक़े को उल्टा करके बदलने का वक़्त आया हैं। 🔄
हम अक़्सर किसी आँखों-देखी निशानी, फ़ौरन मिलने वाले जवाब, या छूकर महसूस किए जाने वाले सबूत की तलाश करते हैं — ताकि हमारा यक़ीन पक्का हो सके। यीशु मसीह का एक चेला, थोमा, भी कुछ इसी तरह की हालत से गुज़र रहा था। उसने यीशु मसीह के पुनरुत्थान पर तब तक यक़ीन नहीं किया, जब तक उसने उसे अपनी आँखों से ज़िंदा न देख लिया और उसके ज़ख्मों को अपने हाथों से छू न लिया।
लेकिन यीशु मसीह, अपनी बेहिसाब फ़ज़ल में, थोमा से मुलाक़ात करता है — और फिर एक ऐसी गूंजती हुई, प्रभावशाली बात कहता हैं, जो सिर्फ़ थोमा के लिए नहीं, बल्कि हम सब के लिए भी आज तक उतनी ही असरदार और सच्ची है।:
*"ज़हनसीब है वह, जो बिना देखे, पूरा यक़ीन करता है।” – यूहन्ना २०:२९
आज-कल काफ़ी मसीही लोग, ऐसी जगहों की ओर आकर्षित और खिंचे चले जाते हैं जहाँ चिन्ह, चमत्कार और अद्भुत कार्यों का नज़ारा देखने को मिलता है — और अफ़सोस की बात है कि कई बार यीशु मसीह से ज़्यादा अहमियत उन कार्यों को दी जाती है। शायद इसलिए, क्योंकि उस ख़ुदा पर यक़ीन करना आसान लगता है जो हमारी हर आरज़ू को मुक़म्मल करता है — जैसे कोई अलादीन का चिराग़।
मगर यही नासमझी सोच, सच्चे ईमान में मिलावट ले आती है। क्योंकि ईमान सिर्फ़ तब सच्चा साबित होता हैं जब हम बिना कुछ देखे, बिना किसी ठोस सबूत के, सिर्फ़ ख़ुदा के वादों पर अटल खड़े रहते हैं।
बेहिसाब ईमान का मतलब है:
- इस बेरहम ज़िंदगी के बीच भी, ख़ुदा की भलाई पर यक़ीन करें।
- जब उसकी मौजूदगी महसूस न हो, तब भी उसके क़रीबी पर ऐतबार करना।
- जब हालात ज़िद्दी हो, तब भी उसकी ताक़त पर उम्मीद बनाए रखना।
यीशु मसीह के मुताबिक़, बिना देखे ईमान रखना ना सिर्फ़ मुमकिन है, बल्कि एक बरक़त की भी बात है।
जो नज़रों से नहीं, बल्कि ईमान से चलते हैं, ऐसे लोगों पर एक ख़ास रहमत बरसाई जाती है। आपका ख़ामोश और इंतज़ार भरा यक़ीन, ख़ुदा के लिए बहुत क़ीमती है।
अगर आप एक ऐसे दौर से गुज़र रहे हैं जहाँ कुछ भी नहीं बदल रहा — न शिफ़ा मिली है, न हालात बेहतर हुए हैं, और आप अब भी किसी जवाब के इंतज़ार में हैं — तो इस सच्चाई को कभी न भूलें:
ख़ुदा आपकी हालातों में आज भी मौजूद है, और वो उन्हें बदलने के लिए लगातार काम कर रहा है, भले ही आप उसे अभी न देख पाएं।
वो आपके आँसुओं को देख रहा है, आपकी दुआओं को सुन रहा है, और आपकी दिल से उठती उम्मीदों को महसूस भी कर रहा है। जब ये ज़माना कहता है कि अब हार मान लो — तब वही ख़ुदा कहता है, “तुम्हारी जीत पहले ही तय हो चुकी है।”
क्या आप आज पूरा यक़ीन करने की हिम्मत करना चाहेंगे? क्या आप नतीजें का इंतज़ार नहीं बल्क़ि ख़ुदा के क़लाम और वादों को थामे रखने के लिए राज़ी हैं?

