उसने मेरी ज़ुबान पर एक नया गीत रखा है।

मेरी ज़िंदगी में कई बार ऐसे मोड़ आए, जब लगा — 'अब इससे बुरा और क्या ही हो सकता है?' हर चीज़ जैसे हाथ से फिसलती जा रही थी और मैं खुद को फँसी हुई महसूस कर रही थी — नाउम्मीदों से घिरी और यक़ीन से खाली। यह समझ ही नहीं आ रहा था कि आगे क्या होगा... या फिर कुछ भी कभी ठीक हो पाएगा।
क्या आपके ज़िंदगी में भी, कभी ऐसे लम्हें आये है?
शायद ऐसा ही हाल योना का हुआ होगा, जब उसे जहाज़ से बाहर, उस तेज़ तूफ़ानी समंदर में फेंक दिया गया था (योना १:१२, १५)।
उसने ख़ुदा के हुक़्म की नाफ़रमानी की और भागने की कोशिश की — और अब, उस तूफ़ानी समंदर में, शायद मौत ही उसका मुントज़िर थी। यहाँ तक कि जहाज़ के मुसाफ़िरों को भी यही यक़ीन था (योना १:१४)।
मगर फिर इस कहानी का एक बड़ा ट्विस्ट तब आता है जब उसे बचाने के लिए, ख़ुदा एक बड़ी मछली भेजता है जो योना को निगल जाती है और फिर भी उसकी मौत नहीं होती हैं। यह न सिर्फ थोड़ा अजीब हैं लेकिन काफ़ी हद तक़ असहज भी है (योना १:१७)।
उस बड़ी मछली के ज़रियें, ज़िंदा बाहर निकाला जाना, महज़ उसकी जान बचना नहीं था बल्कि उसे नीनवे जैसे विशाल शहर को पश्चाताप और उद्धार की राह दिखाने वाला बनाना था। (योना ३:१०)।
हम बाइबल में बार-बार यही देखते हैं:
- यूसुफ़, जो ग़ुलामी में बेच दिया गया था, आगे चलकर मिस्र देश का शासक बनता है।
- पतरस, जिसने यीशु मसीह का इन्कार किया, वही फिर कलीसिया की चट्टान बन जाता है।
- मूसा, जो एक समय भगोड़ा, क़ातिल और फ़रार था, वही इतिहास का सबसे बड़ा लीडर बनता है।
दाऊद भी इस सच्चाई की गवाही देता है — भजन संहिता ४०:२-३ में:
*उसने मुझे ख़तरे और बर्बादी के गड्ढें से और किचड़ और गीले मैल के दलदल से बाहर निकाला है; अब मेरे क़दम एक मज़बूत और स्थिर चट्टान पर ठहरे हैं। उसने मेरी ज़ुबान पर एक नया गीत रखा है — एक ऐसा नग़मा जो हमारे ख़ुदावंद की तारीफ़ में गाया जाता है। यह देखकर सब डरेंगे और अपना ईमान सिर्फ़ ख़ुदा पर रखेंगे।
तो, क्या आप पूरी तरह से टूटें हुए महसूस कर रहें हैं? अगर आपका जवाब हाँ हैं, तो जान लीजिए, आप अकेले नहीं हैं। हमारे साथ, आप सही संगति में हैं। ख़ुदा पर ईमान रखें —और यक़ीन रखें कि सबसे बेहतरीन और ख़ूबसूरत पल आनेवाला है! पिक्चर अभी बाक़ी हैं मेरे दोस्त।

