जैसे ख़ुद से वैसे ही अपने पड़ोसी से भी मोहब्बत करें।

हम ‘भरोसेमंद ज़िम्मेदारी’ (मत्ती २५:१४-३०) की सीरीज़ के आख़री दिन पर पहुँच गए हैं और उम्मीद हैं कि यह आपके लिए एक ख़ूबसूरत सफ़र रहा हैं! 🙌
पिछले हफ़्ते भर में, हमने ये जाना कि जैसे यीशु मसीह के इस कहानी में सेवकों को एक ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी, वैसे ही हमें भी एक भरोसेमंद ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
पौलुस इस बात को इस तरह लिखता है:
*"क्योंकि हम उसकी दस्तकारी हैं, जो मसीह यीशु में अच्छे कामों के लिए रचे गए हैं — जिन्हें ख़ुदा ने पहले से तैयार किया, ताकि हम उन्हीं राहों पर चलें।" – इफिसियों २:१०
आख़िर ये “भले काम” कौन से हैं, जिनके लिए हम रचे गए हैं? इसका उत्तर जानने के लिए चलिए, एक बार फिर इस कहानी पर ग़ौर से नज़र डालते है।
यीशु मसीह ने अपने चेलों को दुनिया के अंतिम दिनों और आने वाले युग के रहस्यों को समझाने और सिखाने के लिए 'भरोसेमंद ज़िम्मेदारी' और 'दस कुँवारियाँ' जैसी दो कहानियों का सहारा लिया। (मत्ती २४ और २५)।
यीशु मसीह, अंतिम दिनों में होनेवाली बातों की सूचि से शुरुवात करता हैं और फिर इन दोनों कहानी के ज़रिए, हमें तैयार रहने और आख़िर में उद्धार की चुनौती, हमारे सामने रखता है।
एक बहुत मशहूर हिस्से में, यीशु मसीह धर्मी लोगों के कार्यों का ज़िक्र करता है:
*"क्योंकि जब मैं भूखा था, तब तुने मुझे खाना खिलाया; जब मैं प्यासा था, तब तुने मुझे पानी पिलाया; जब मैं अजनबी था, तब तुने मुझे पनाह दी; जब मैं नंगा था, तब तुने मुझे कपड़े पहिनाए; जब मैं बीमार था, तब तुने मेरी देखभाल की, जब मैं जेल में था, तब तु मुझसे मिलने आया।’“फिर वे धर्मी लोगों ने उसे पूछा, ‘हे प्रभु, हम ने कब तुझे खाना खिलाया और पानी पिलाया? हमने कब तुझे पनाह दी और कपड़े पहिनाए? हमने कब तेरी देखभाल की और तुझे जेल में मिलने आए?’ तब राजा का जवाब होगा, ‘मैं सच कहता हूँ कि तुने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों और बहनों में से किसी एक के साथ भी किया, वह मेरे साथ ही किया।" – मत्ती २५:३५-४०
यही हैं वे भले और अच्छें काम जिसका ज़िक्र इफिसियों में किया गया हैं! ☝️
ख़ुदा की और से मिली हर कला, ताक़त, पैसा और प्रभाव का मक़सद महज़ आपके ही फायदें के लिए नहीं — बल्कि ख़ुदा के राज्य में, दूसरों की बरक़त के लिए दिया है।
हर कहानी, हर आज्ञा, हर बुलाहट के पीछे एक भला मक़सद है:
*"अपने पूरें दिल से ख़ुदा से मोहब्बत कर… और जैसे ख़ुद से वैसे ही अपने पड़ोसी से भी मोहब्बत कर।" – मत्ती २२:३७-४०
आओ, मिलकर दुआ करें:
ऐ आसमानी पिता, मुझे तेरी और से मिली हर बरक़त का, दूसरों के भलाई के लिए इस्तेमाल करने में मदद कर। तेरा एक भरोसेमंद ज़िम्मेदार सेवक बनने और तेरी बेपनाह मोहब्बत को सबसे बाँटने में मेरी सहायता कर। मेरी ज़िंदगी में तेरी सारी बरक़तों के लिए तेरा लाख-लाख शुक्रिया। यीशु मसीह के नाम में, आमीन।
आप यह चमत्कार का ई-मेल क़िसी ज़रूरतमंद को फॉरवर्ड करके उन्हें बरक़त ला सकतें हैं और उनका हौसला बढ़ा सकतें है! 😉

