ख़ुदा ने आपको अज़मत दी है और वो जीत का नारा लगा रहा है।

स्कूल के दिनों में मेरी एक बहुत सख़्त अंग्रेज़ी टीचर थीं — मिस. फ़र्नांडिस।क्लास में उनकी मौजूदगी से ही सारे विद्यार्थी घबरा जाते थे।
हालाँकि मैं अंग्रेज़ी में तेज़ था और मैं उनके पसंदीदा छात्रों में से एक था, लेकिन उनकी आसमान-छूती उम्मीदों का दबाव अक्सर मुझसे होमवर्क में ग़लतियाँ करवा देता था। उन्हें निराश न करने के डर ने मुझसे और भी ज़्यादा ग़लतियाँ करवाईं।
इसीलिए, मैं यीशु मसीह के “तीन सेवकों और सिक्कों” (मत्ती २५:१४-३०) की कहानी में उस तीसरे सेवक से थोड़ा बहुत जुड़ा हुआ महसूस करता हूँ, जिसने अपने मालिक के डर से, दी हुई चाँदी के सिक्कों से भरी थैली को, बिना इन्वेस्ट किए, ज़मीन में दफ़ना दिया।
पहली नज़र में ऐसा लगता है कि उस सेवक का डर जायज़ था, लेकिन मालिक के लौटने पर उसके बेवजह के डर और आलस के कारण उसे सख़्त फटकार और सज़ा मिलती है।
मगर कुछ बातें ग़ौर करने लायक हैं:
पहला - कि यह सेवक अपने मालिक पर पूरे भरोसे के बावजूद, अपनी असफ़लता के डर से घबराया हुआ था।
बाइबल में ख़ास तौर पर लिखा है कि मालिक ने हर एक सेवक पर भरोसा किया और उनकी क़ाबिलियत के मुताबिक़ उन्हें सिक्कें दियें (मत्ती २५:१५)।
इसका मतलब ये है कि मालिक जानता था कि वह किससे क्या माँग रहा है और उसने किसी पर उनकी क़ाबिलियत से ज़्यादा बोझ नहीं डाला।
दूसरा - इतनी दिलदारी और यक़ीन ज़ाहिर करने के बावजूद, उस सेवक ने अपने मालिक को एक "सख़्त इंसान" का ख़िताब दिया। वह चाहता तो अपनी दौलत किसी बैंक में जमा कर सकता था, लेकिन उसने अपने सेवकों के हवालें कर दिया।
तीसरा - उस सेवक ने अपने भीतर के बेवजह डर को अपनी क़ाबिलियत तक पहुँचने में एक दीवार बना लिया था, और अपने दिलदार मालिक पर आधारित बेबुनियाद शक़ को ही हक़ीक़त मान बैठा।
हमारा दुश्मन arthat(शैतान), हमें हमेशा:
- यक़ीन दिलाने की कोशिश करेगा की हम नाक़ाबिल है।
- ख़ुदा की वफ़ादारी पर शक़ करने पर मजबूर करेगा.
मगर सच ये है, कि ख़ुदा उस दरियादिल मालिक की तरह है और उससे भी कई ज़्यादा। उसने आपको अज़मत दी है और वो आपके लिए जीत का नारा लगा रहा है।
आज अपने दिल में मौजूद हर बेबुनियाद शक़ और बेवजह डर को यीशु मसीह के हवाले कर दे और उसे अपनी भलाई ज़ाहिर करने का मौक़ा दे।

