वह हमारे हर आँसू पोंछेगा

हम दस कुँवारियों की कहानी (मत्ती २५) को समझने के आख़री दिन पर आ पहुँचे हैं। कल हमने इसपर मनन किया कि यीशु मसीह के साथ क़रीबी रिश्तें का तेल ख़रीदा नहीं जा सकता – उसे वक़्त के साथ विकसित करना पड़ता है।
जैसा कि मैंने कहा, दुआ, इबादत, बाइबल पढ़ना, या ख़ामोशी में समय बिताना – ये सब तरीके ख़ुदा के साथ क़रीबी रिश्तें को बढ़ाने के लिए ज़रुरी हैं। लेकिन कभी-कभी ज़िंदगी में हमे अपने ग़मों को सहने के ज़रिए, यीशु मसीह के साथ उस क़रीबी रिश्ते के तेल को विकसित करने का एक अनोखा मौक़ा मिलता है।
और ये, मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ। जैसा कि आप जानते ही होंगे, हमारा बेटा ज़ैक का इस साल की शुरुआत में देहांत हुआ। लगभग साढ़े चार सालों तक, हमने अपने उस अनमोल बेटे की देखभाल की, जो गंभीर बिमारी से जूझ रहा था। हमारे लिए वो साल बेहद मुश्किल और दर्दनाक़ थे – अकसर हद से ज़्यादा भारी थें। ज़ैक के इस बेरहम सफ़र में, हम न जाने कितनी बार खुद को पूरी तरह टूटा हुआ, बेबस और थका हुआ महसूस करते थे।
लेकिन उस दर्द में, मैंने एक गहरी बात ख़ोज ली: जब हम यीशु मसीह के साथ अपने ग़मों को सहना सिखतें हैं तो हमें उसके साथ एक पाकीज़गी सी क़रीबी हासिल होती है।
यीशु मसीह भी ग़म से अंजान नही है। बाइबल कहती है:
*“यीशु मसीह को तुच्छ जाना जाता था और इंसानो का त्यागा हुआ था; वह ग़म से भरा हुआ और दर्द से वाक़िफ़ भी था। जैसे लोग किसी तुच्छ से बर्ताव करते थे वैसे ही उससे मुख फेर लेते थे। हम ने उसकी क़ीमत नहीं जानी।” – यशायाह ५३:३
यीशु मसीह के साथ ग़म को सहने का मतलब है – अपने सबसे गहरे ज़ख्मों और छिपे हुए राज़ों को खोलना। इसका मतलब है कि दर्द और निराशा के बीच भी, दुआ करने का इरादा बनाए रखना। इसका मतलब यह भी है कि उसकी मौजूदगी में बेझिझक आँसू बहाना, अपने जज़्बातों में ईमानदार रहना और कभी-कभी अपने ग़ुस्से को भी ख़ुदा के सामने बयाँ करना।
अय्यूब ने इसे बख़ूबी निभाया था । मेरी पत्नी जेनी ने अय्यूब की ज़िंदगी पर एक ख़ूबसूरत सीरीज़ लिखी है [यहाँ पढ़ें] YouVersion Bible ऐप पर
आज आप किस ग़म से गुज़र रहे है?
क्या आप उस दर्द में यीशु मसीह को शामिल करने के लिए तैयार है? वो आपका इंतज़ार कर रहा है।
(*इस प्रोत्साहन के कुछ आयत मेरे अल्फ़ाज़ और अंदाज़ में लिखे गए हैं)

