क्या यीशु मसीह आपको जानता है?

मसीही सेवकाई के सफ़र में मेरी मुलाक़ात हज़ारों लोगों से होती है। लेकिन इस मासूम से दिमाग़ में हर याद, हर बात, और हर चेहरा सँजो कर रखना हमेशा मुमकिन नहीं होता। कभी-कभी बड़ा अजीब सा पल बन जाता है — जब सालों बाद किसी जगह दोबारा जाता हूँ और वहां के कुछ लोग बिल्कुल याद नहीं आते 🫣। यहाँ तक कि कई बार ऐसा भी हुआ कि किसी ने हमारे साथ की तस्वीर तक दिखाई… लेकिन दिमाग़ में जैसे सब ‘ब्लैंक’। ऐसे लम्हों में मैं हल्की मुस्कान के साथ बस इतना ही कह पाता हूँ, ‘आपसे दोबारा मिलकर बहुत ख़ुशी हुई!’ 😊"
मैं ये कहकर कि “माफ़ कीजिए, मैं आपको जानता नहीं” किसी का दिल नहीं तोड़ना चाहता हूँ। लेकिन यीशु मसीह के दस कुँवारी लड़कियों की कहानी में, दूल्हे ने बिलकुल ऐसा ही कह दिया 🤷🏻♂️ (मत्ती २५:६-१०)।
*“जो कुँवारियाँ दिये में तेल लेकर तैयार थीं, वे दूल्हे के साथ शादी के घर में चली गईं और दरवाज़ा बंद कर दिया। इसके बाद वे अन्य कुँवारियाँ तेल ख़रीदकर लौट आईं और कहने लगीं, ‘हे स्वामी, हे स्वामी! हमारे लिए भी दरवाज़ा खोल दे।’ लेकिन दूल्हे ने जवाब में कहा, ‘मैं तुमसे सच कहता हूँ, मैं तुम्हें नहीं जानता।” – मत्ती २५:१०-१२
हैरानी की बात ये है कि वे कुँवारियाँ दूल्हे को जानती थीं – क्योंकि उन्होंने उसे “स्वामी, स्वामी” कहकर पुकारा। लेकिन वही स्वामी (दूल्हे) ने जवाब में कहा “मैं तुम्हें नहीं जानता ।” 🤔
हमारी ज़िंदगी की कहानी में हम ही वो कुँवारियों के जैसे हैं और यीशु मसीह ही वो स्वामी और दूल्हा है।
सबसे अहम सवाल ये नहीं है कि क्या आप यीशु मसीह को जानते हैं? बल्कि ये है कि क्या यीशु मसीह आपको जानता हैं?
अब, आप सोच रहे होगे, “पर यीशु मसीह तो ख़ुदा हैं, वह तो हर कोई और हर चीज़ से वाक़िफ़ है!” हाँ, ये सच है। लेकिन इस कहानी में यीशु मसीह यही ज़ाहिर कर रहा है कि वो हमें एक गहरी और क़रीबी पहचान के स्तर पर जानना चाहता है।
उन कुँवारियों के दीपकों में जो तेल था, वो क़रीबी और यारी की निशानी है। हम कल इसपर और गौर करेंगे, लेकिन आज के लिए बस इसी पर मनन करें:
यीशु मसीह आपको अपने क़रीब, एक ख़ास दोस्ती का रिश्ता निभाने के लिए बुला रहा है। उसकी दिली-ख्वाइश यही है की आप उसे अपने पुरे दिल से चाहें और आपका रिश्ता उसके साथ और भी गहरा हो जाए।
(*इस प्रोत्साहन के कुछ आयत मेरे अल्फ़ाज़ और अंदाज़ में लिखे गए हैं)

