अब जागने का वक़्त आया है!

मुझे गहरी नींद नहीं आती हैं। मुझे ऐसा करना पड़ता था – क्योंकि चार साल तक, रात के वक़्त मैंने हमारे बेटे ज़ैक की देखभाल की। उसकी विकलांगताओं के कारण, ज़ैक बोल नहीं सकता था या कोई इशारा भी नहीं कर सकता था, तो मेरे कान इतने तेज़ हो गए थे कि उसकी ज़रा सी भी हलचल मुझे जगा देती थी। सबसे हल्की आवाज़ भी मेरी नींद तोड़ देती थी।
कोई भी तेज़ आवाज़ मुझे चौंका देती है – और वो एहसास मुझे नापसंद है।
मत्ती २५ में जब आधी रात के सन्नाटे को चीरती हुई एक पुकार गूंजी — 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उठो, उससे मिलने के लिए तैयार हो जाओ!' तब वह आवाज़ ने उन दस सोती हुई कुँवारियों को जैसे झकझोर कर जगा दिया। (मत्ती २५:६).
इन दस कुँवारियों की तरह, हम सब के लिये भी यह ख़तरा है कि हम सो जाएँ – आत्मिक नज़रिए से।
हमारे ईमान के सो जाने का ख़तरा हमेशा रहता है। ज़िंदगी के भाग-दौड़ में मशगूल हो जातें है – काम, पढ़ाई, जिम्मेदारियाँ बढ़ती जाती हैं। शायद हमें दुआ करने का या ख़ुदा का क़लाम पढ़ने का वक़्त नहीं मिलता है, या हो सकता है हम किसी कलीसिया या मसीही भाई-बहन से ख़फ़ा है।
मेरा मक़सद आपको शर्मिंदा या दोषी क़रार करने का नहीं हैं, बल्कि यह याद दिलाने का है की:
“अब जागने का वक़्त आया है, क्योंकि हमारी आज़ादी उस वक़्त से कई ज़्यादा क़रीब है जब हमने पहली दफ़ा ऐतबार किया था।” – रोमियों १३:११
क्या आपके रूहानी ज़िंदगी में अब वो गर्मजोशी नहीं रही? क्या ऐसा महसूस होता है कि यीशु मसीह के लिए वो पहले जैसा जोश और जुनून अब नहीं रहा? 🔥
यह कोई न्याय या निंदा नहीं, बल्कि एक मोहब्बत-भरा न्योता है। आज ही अपने तन और मन को फिर से ख़ुदा के हवाले करने का फ़ैसला करें और यीशु मसीह की इंतज़ार में जागते रहें। आने वाले ‘चमत्कार हर दिन’ के प्रोत्साहन को ज़रूर पढ़ते रहें और ताज़गी हासिल करें।
क्या आपको ऐसा कोई और याद आ रहा है जिसे “जगाना” चाहिए? इस चमत्कार को उसे भी फॉरवर्ड करें और इस इंतज़ार के सफर में अपने संग जोड़ें।
(*इस प्रोत्साहन के कुछ आयत मेरे अल्फ़ाज़ और अंदाज़ में लिखे गए हैं)

