जैसी ख़ुद से, वैसी ही अपने पड़ोसी से मोहब्बत कर

कुछ दिन पहले मेरी एक अज़ीज़ दोस्त मुझसे मिलने आई थी। उसका चेहरा मायूस था और वो अपने दिल का ग़म मुझसे बाँटने लगी।
मुझे लगा कि ये बस कुछ समय की मुलाक़ात, हालचाल पूछने की ही होगी। लेकिन वो अपने पूरे पिछले ज़िंदगी की कहानी बयान करने लगी - और ये पहली बार नहीं था। मैं उसकी बातें पहले भी सुन चुकी थी और हाँ, मुझे उस पर तरस तो आया, पर उसकी उन्हीं तकलीफ़ों को बार-बार सुनकर मैं भी थक चुकी थी।
वो अब भी अंदर से टूटी हुई थी, लेकिन वक़्त की कमी की वजह से मैंने उसकी बातें कुछ देर तक़ सुनी, फिर एक-दो आत्मिक सलाह दी, बाइबल की आयतें सुनाईं और उसे दुआ करने के लिए प्रोत्साहित भी किया। आख़िर में मुस्कुरा कर कहा, “यीशु मसीह तुझसे मोहब्बत करता है और मैं भी,” फिर धीरे से उसे दरवाज़े तक छोड़ आई ताकि मैं अपने बाकी दिन के काम पूरे कर सकूं।
ऐसा करने से क्या मैंने अच्छी दोस्ती निभाई?
क्या होगा अगर मैं कहूं कि वो “दोस्त” मैं ही थी?
हम अकसर अपने आपसे से ज़रूरत से ज़्यादा सख़्ती से पेश आते हैं। जैसे हमारे अंदर कोई फ़रीसी ही बैठा हो, जो हमें बार-बार कहता है तू भला नहीं है, तुझे और बेहतर करना चाहिए, तू इस मोहब्बत, रहमत और उद्धार के क़ाबिल ही नहीं है।
“भले समारी” की मिसाल (लुका १०:२५-३७) समझने का मतलब ये भी है, हमें ये पहचानना है कि हम सब ज़रूरतमंद हैं और हम सब रहम के लायक हैं।
दूसरों पर रहम करने से पहले, अपने आप पर भी तरस करना सीखना चाहिए।
आख़िर जिस क़ानून से ये यीशु मसीह ने इस पूरी कहानी की शुरुवात की, वो ये है:
“जैसी खुद से, वैसी ही अपने पड़ोसी से मोहब्बत कर” — लूका १०:२७
अपने पड़ोसी से मोहब्बत करना नामुमकिन है, अगर आप अपने आप से मोहब्बत करना और रहम करना नहीं जानते हैं।
अपने अंदर के टूटेपन को पहचानकर अपने आप पर थोड़ा रहम करें और यीशु मसीह को उसी टूटेपन में आपसे मुलाक़ात करने दे।
अगर ये आपके लिए मुश्किल है, तो मैं दिल से इस पढ़ने की योजना को आपके साथ साझा करना चाहती हूँ — कॅमरॉन के अल्फ़ाज़ में यह यू वर्शन बाइबल अँप (insert hindi link - Sveta) 👉 https://www.bible.com/reading-plans/57286 आपके लिए पेश है।(*इस प्रोत्साहन के कुछ आयत मेरे अल्फ़ाज़ और अंदाज़ में लिखे गए हैं)

