यीशु मसीह ने उनपर रहम किया

इस हफ्ते हमने भला सामरी की कहानी पर ग़ौर किया है (लूका १०:२५–३७)। सच कहूँ तो, कभी-कभी यह कहानी पढ़ना मेरे लिए कठिन सा होता है। ऐसा लगता है जैसे मुझे दूसरों के लिए जितना करना चाहिए, उतना नहीं कर रही हूँ।
मगर शायद यही इस कहानी का मक़सद है। यह हमारे दिल की जांच करता है: क्या हम असल में दूसरों से सच्चे दिल और कार्यों से मोहब्बत कर रहे हैं?
इस कहानी से ये भी सीख मिलती है कि जब हम ज़िंदगी के भाग-दौड़ और हालातों से हार चुके हैं, या जब हम चोटिल हैं तब एक भला सामरी हमारे लिए भी मौजूद है—जो ज़रूरत रहने पर हमारी मदद करता है और हमसे बेशर्त और बेपनाह मोहब्बत करता हैं - वह हमारा ख़ुदा हैं।
यीशु मसीह हमारे लिए वही भला सामरी है।
मत्ती ९ में हमें यीशु मसीह की रहम-दिली दिखाई देती हैं। वो हर बीमार को चंगा करता था क्योंकि लोग परेशान और बेसहारा थे। क्या यह बात जानी-पहचानी लगती है?
“यीशु सब नगरों और गाँवों में फिरता रहा और उनके आराधनालयों में उपदेश करता, और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करता रहा। जब उसने भीड़ को देखा तो उसको लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे उन भेड़ों के समान जिनका कोई रखवाला न हो, व्याकुल और भटके हुए से थे।” – मत्ती ९:३५–३६
अगर आप आजकल ख़ुद को सताया हुआ, ज़ख़्मी और लूटा हुआ महसूस कर रहे है, तो यीशु मसीह को अपने भीतर आने की इजाज़त दें। उसे अपने ज़ख्मों को छूकर आपके ज़रूरतों का ख्याल रखने दें। इज़हार करें कि आपको एक भला सामरी चाहिए… और फिर देखो ख़ुदा क्या करता है।
“इंसानी पिता के समान, ख़ुदा भी अपने बच्चों पर रहम करता है।” – भजन संहिता १०३:१३
आइए, हम ये दुआ मिलकर करें:
“ऐ आसमानी पिता, तेरी रहमत और तेरी बेहिसाब मोहब्बत के लिए शुक्रिया। मेरे दिल के टूटे और दुखी हिस्सों में तू दाखिल हो जा। एक भले सामरी की तरह, मुझे तेरी ज़रूरत हैं। यीशु मसीह के नाम में, आमीन।”
(*इस प्रोत्साहन के कुछ आयत मेरे अल्फ़ाज़ और अंदाज़ में लिखे गए हैं)

