आपकी ज़िंदगी में भला सामरी कौन है?

आपका यह हफ़्ता कैसा गुज़र रहा है?
इस हफ़्ते हम यीशु मसीह की एक मशहूर कहानी, “भला सामरी” में और भी गहराई से जा रहे हैं। लेकिन क्या आपने इस बात पर गौर किया कि यीशु मसीह ने उस सामरी को “भला” नहीं, “तिरस्कृत सामरी” कहा? (लूका १०:३३)
क्या आपकी ज़िंदगी में भी ऐसे लोग हैं जिन्हें आप दिल से नापसंद या नफ़रत करते हैं?
मुझे ये मानने में शर्म आती है, लेकिन हक़ीक़त ये है कि मेरी भी सबसे मोहब्बत करने की पूरी कोशिश के बावजूद, अब भी कभी-कभी पक्षपात और निराशा से जूझ रही हूँ। मुझे सबसे ज़्यादा तकलीफ़ उन लोगों से हैं जो धर्म और वचन का इस्तेमाल, नफ़रत फैलाने के लिए करते हैं — ख़ासकर सोशल मीडिया पर। उन्हें मोहब्बत की नज़रों से देखना मेरे लिए आसान नहीं है।
यीशु मसीह ने एक ख़ास मक़सद से, इस कहानी के हीरो को “तिरस्कृत सामरी” कहा। न कि इसलिए कि वो खुद उसे तिरस्कृत समझता था, बल्कि इसलिए क्योंकि उसके सामने मौजूद लोग, फरीसी और चेलें, उसे वैसे ही नज़र से देखते थे।
उस ज़माने के सामरी को, यहूदियों की नज़रों में अधर्मी माना जाता था। वो एक मिश्रित जाति थे, जो आधे इज्राएली और आधे ग़ैर थे। उन्हें समझौता करने वाले माने जाते थे क्योंकि वे दूसरे देवताओं की पूजा करतें थे और ख़ुदा के कायदों से जुदा थे (२ राजा १७:२४-४१)
इस कहानी में, यहूदियों की नज़रों में, सामरी को शायद सबसे कम भरोसेमंद समझा गया था। लेकिन यीशु मसीह ने उसी सामरी को हीरो बनाते हुए नफ़रत, पक्षपात और धार्मिक घमंड को बेनक़ाब कर दिया।
ठीक उसी तरह ही, ये मिसाल हमारी ज़िंदगी में भी पक्षपात और धार्मिक घमंड को उजागर कर सकती है।
आपकी ज़िंदगी में वह "सामरी" कौन है? वह इंसान या वे लोग जिन्हें आप नज़रअंदाज़ करते हैं? जिनके बारे में आप सोच भी नहीं सकते कि वो कुछ भला कर सकते हैं? अब यीशु मसीह आपको उन्हीं “तिरस्कृत” लोगों को मोहब्बत करने की चुनौती दे रहा हैं। क्या आप उस बेशर्त मोहब्बत को ज़ाहिर करने के लिए तैयार हैं?

